मध्य प्रदेश के बिजली कंपनियों के बिजली कर्मियों की तीन सूत्रीय मांगों को लेकर मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के नेतृत्व में चार प्रमुख संगठनों ने 6 जनवरी को जेल भरो आंदोलन का आह्वान किया था। 2 अक्टूबर से विभिन्न चरणों में किए गए आंदोलन के अंतिम चरण में जेल भरो आंदोलन और अनिश्चितकालीन कामबंद हड़ताल प्रस्तावित है।बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के दौरान ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनी प्रबंधन लगातार अनदेखी कर रहा था, लेकिन जैसे ही मध्य प्रदेश में एक साथ दो-दो अंतरराष्ट्रीय आयोजन की तारीख नजदीक आई, सरकार से लेकर प्रशासन के आला अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए और आनन-फानन में प्रमुख ऊर्जा सचिव द्वारा कर्मचारी संगठनों की एक बैठक बुलाई गई।
राजधानी भोपाल में 5 जनवरी को बुलाई गई इस बैठक में प्रमुख ऊर्जा सचिव ने बिजली कर्मचारियों की तीन मांगों पर मुख्यमंत्री की ओर से ये आश्वासन दिया कि उनके हाथ में कुछ नहीं हैं और उनकी मांगों को सिर्फ मुख्यमंत्री ही पूरा कर सकते हैं। फिलहाल प्रदेश में दो अंतरराष्ट्रीय आयोजन होने हैं, इन आयोजनों के संपन्न होने के बाद बिजली कर्मियों की मांगों के निराकरण का रास्ता निकाला जायेगा। प्रमुख ऊर्जा सचिव ने इसके लिए लिखित पत्र भी जारी करने का आश्वासन दिया और आंदोलन को स्थगित करने का निवेदन किया। जिसके बाद कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन की तारीख में परिवर्तन करते हुए सरकार और ऊर्जा विभाग को 20 जनवरी तक का समय दिया है।
इस संबंध में मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि सभी कर्मचारी संगठनों ने प्रमुख ऊर्जा सचिव के आश्वासन पर भरोसा करते हुए आंदोलन की तारीख में परिवर्तन किया है। प्रमुख ऊर्जा सचिव ने उनके द्वारा दिए गए आश्वासन को 6 जनवरी को दोपहर 1 बजे तक लिखित में देने की बात भी कही थी, लेकिन ऊर्जा विभाग पहले दिन ही अपना वादा निभाने में नाकाम रहा। हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि आला अधिकारियों के इस व्यवहार से बिजली कर्मियों में खासा आक्रोश है। अगर सरकार और आला अधिकारी अपने आश्वासन को पूरा करने में कोताही बरतते हैं तो बिजली कर्मचारी संगठनों के पास वापस आंदोलन और हड़ताल पर जाने का विकल्प खुला हुआ है।