एक ओर मध्य प्रदेश सरकार और विद्युत कंपनियों का प्रबंधन विद्युत उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली सप्लाई का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर विद्युत व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने वाले जमीनी कर्मियों को अतिआवश्यक संसाधन तक मुहैया नहीं करवा पा रहा है।
सर्वविदित है कि बरसात के मौसम में विड्यूट लाइनों और उपकरणों में ट्रिपिंग और फाल्ट की समस्या बढ़ जाती है। साथ ही घरेलू शिकायतों में भी इजाफा हो जाता है। ऐसे में बारिश के बीच प्रदेश के नियमित, संविदा और ठेका श्रमिक अपनी जान जोखिम में डालकर विद्युत सुधार कार्य करते हैं। इस दौरान उन्हें करंट लगने और पानी के कारण फिसलने आदि का खतरा बना रहता है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि नियमित कर्मचारियों को ड्रेस एवं बरसाती खरीदने के लिए 3595 रुपये दिए जाते थे, जो चार साल से पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन द्वारा नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने प्रदेश की सभी विद्युत कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारी, जो प्रदेश के 52 जिलों में हो रही बरसात के बावजूद उपभोक्ता सेवा को सर्वोपरि रखते हुए और बरसात में भीगते हुए विद्युत तंत्र को चलायमान रखे हुए हैं, उन्हें जल्द से जल्द बरसाती प्रदान की जाए, ताकि वे बारिश के दौरान निश्चिंत होकर कार्य कर सकें।
संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, जेके कोस्टा, अजय कश्यप, शशि उपाध्याय, अरुण मालवीय, महेश पटेल, इंद्रपाल, संजय वर्मा, पुरुषोत्तम आजाद, सुरेंद्र मेश्राम, मदन पटेल, दशरथ शर्मा, ददन तिवारी, राजेश यादव, टी डेबिड, हिरेंद्र रोहिताश, वीरेंद्र विश्वकर्मा, संतोष पटेल, गोपाल यादव आदि ने कंपनी प्रबंधनों से मांग की गई है कि नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारियों को तत्काल बरसाती दी जाए।