रेलवे बोर्ड द्वारा जारी एचआरएमएस की नई तकनीक से रेल कर्मचारियों को अत्याधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ना तो उन्हें पास पीटीओ समय पर मिल पा रहे है। ना ही शादी-विवाह या अन्य जरूरतो पर पी.एफ से पैसा प्राप्त हो पा रहा है।
दरअसल पिछले वर्ष रेलवे बोर्ड ने समस्त रेल कर्मचारियों को व्यक्तिगत व सेवा संबंधी बायोडाटा एचआरएमएस सिस्टम में फीड करने तथा इसी सिस्टम से कर्मचारियो को पास पीटीओ, पीएफ, सेवानिवृति लाभ आदि के भुगतान को लिंक करने के निर्देश दिये थे।
जबलपुर मंडल के नियमित कर्मचारियों से यह कार्य कराने मे मंडल प्रशासन असफल रहा। अतः इसे प्राइवेट ठेकेदार के अनाड़ी-दिहाड़ी कर्मचारियों से यह महत्वपूर्ण कार्य कराया गया। अनुभवहीन प्राइवेट डाटा एन्ट्री आपरेटरों ने जल्दबाजी में कर्मचारियों के बायोडाटा को फीड करने मे कुछ ना कुछ गड़बड़ी कर दी। जिसके कारण कर्मचारियो के पास, पीटीओ जनरेट नहीं हो रहे है एवं पीएफ से पैसा भी समय से नहीं मिल पा रहा है।
जिसकी वजह से रेल कर्मचारियों को एक वर्ष मे मिलने वाले तीन फ्री पास तथा चार पीटीओ की सुविधा होने के बावजूद वे अपने पैसों से टिकिट लेकर यात्रा करने को मजबूर हो रहे है। ऐसी ही शिकायत रवि कुमार, मुकेश कुमार, राकेश कुमार व अन्य सैकड़ो कर्मचारियों ने यूनियन को दी। जिसमे उन्होने बताया कि उन्हें एचआरएमएस में गडवड़ी के कारण पास नहीं मिल सका। अतः विवशतावश उन्होने पैसों से टिकिट लेकर यात्रा पूरी की।
कई कर्मचारियों ने बहन, बेटियों की शादी एवअन्य आवश्यक कार्य हेतु पी.एफ. से राशि निकासी करना चाहा परन्तु एचआरएमएस में गड़बड़ी के कारण उन्हें पीएफ एडवांस नहीं मिला। अतः उन्हें ऊॅंचे ब्याज पर बैंको से लोन लेना पड़ा।
वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्प्लाइज यूनियन द्वारा प्रशासन को पहले भी इस संबंध मे सूचित किया जाता रहा, परन्तु प्रशासन ने इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया। यूनियन के मंडल सचिव कामरेड नवीन लिटोरिया ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने 28 फरवरी तक मैनुअल पास की सुविधा बहाल की है। परन्तु जबलपुर मंडल में तानाशाही रवैये के कारण मैनुअल पास नहीं दिये जा रहे है।
उन्होने रेल प्रशासन को चेतावनी भरे शब्दों मे आगाह किया है कि यदि शीघ्र इस समस्या का शीघ्र ही समाधान ना किया गया तो यूनियन इस मुद्दे पर जोरदार संघर्ष शुरू करेगी। उन्होंने प्रशासन से समय रहते इस समस्या का संतोषजनक निदान करने की सख्त लहजे में चेतावनी दी है।