बारिश के मौसम में बिना सुरक्षा उपकरण करंट का कार्य करने के दौरान जान का जोखिम उठाने वाले बिजली कर्मियों को घर पहुंचकर चैन की नींद भी नसीब नहीं हो रही है। सुरक्षा उपकरणों की कमी पर अपने मैदानी कार्मिकों पर मंडरा रहे खतरे की अनदेखी करने वाला बिजली कंपनी प्रबंधन अब अपने कर्मचारियों को सुरक्षित आवास तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है।
विद्युत सूत्रों के अनुसार साहबों के बंगले की दीवार की पपड़ी निकलने पर भी लाखों खर्च करने वाली कंपनी को अपने कर्मियों के जर्जर आवास दिखाई नहीं पड़ते। एक तरफ बिजली कर्मचारी रात दिन विद्युत व्यवस्था को सुदृण बनाने हेतु लगे हुए हैं, वहीं दूसरी और वे और उनका परिवार कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए आवासों में जिन हालातों में रह रहा है, वो बहुत ही दयनीय है।
बिजली कर्मचारी बारिश के मौसम में नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं। दिन भर जान का जोखिम उठाकर कार्य करने वाला मैदानी कर्मचारी घर पहुंचता है तो उसे फिर नए खतरों से जूझना पड़ता है। बारिश में चोक नालियों और गटर का गंदा बदबूदार पानी अनेक संक्रामक और जानलेवा बीमारियों को भी साथ लेकर घर के अंदर घुसता है। जो कर्मी और उसके परिवार के लिए एक खतरा ही है।
वहीं जर्जर मकानों की छत से टपकने वाला पानी इनके घर को स्विमिंग पूल बना देता है। बारिश के दौरान रात-दिन टपकती जर्जर छत कब गिर जाए, इसी आशंका में कर्मचारी और उसका परिवार चैन से सो भी नहीं पाता। टपकते पानी से बचाव के लिए कर्मचारी छत के नीचे पन्नी लगाता है तो कभी अपने खर्चे से सीमेंट लाकर टपका बंद करने की नाकाम कोशिश करता है। लेकिन सीमित आय से कर्मचारी आखिर कितना सुधार करवा सकता है।
सूत्रों की मानें तो इन कर्मचारियों द्वारा जब संबंधित विभाग या अधिकारी से शिकायत की जाती है, तो कोई ध्यान नहीं दिया जाता, वहीं अधिकारियों की शिकायत का निराकरण प्राथमिकता से किया जाता है। सबसे बड़ी विडंबना ये है कि कंपनी के आवासों में रहने वाले कर्मचारियों से हर महीने मरम्मत के नाम पर बड़ी राशि वसूली जारी है, लेकिन कर्मचारियों के आवास की मरम्मत नहीं कराई जाती।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि कंपनी प्रबंधन को कर्मचारियों को अलॉट किए गए आवासों की भी सुध लेनी चाहिए। खासतौर पर बारिश के मौसम में आवासों की स्थिति काफी दयनीय हो जाती है। नालियां चोक होने से गंदा पानी घर में घुसता है, वहीं छत टपकने से कर्मी और उसका परिवार चैन से सो भी नहीं पाता। जिस तरह कंपनी हर महीने कर्मचारी के वेतन से आवास का किराया काट लेती है, उसे प्रकार इन आवासों की मरम्मत हर महीने कराई जाए, ताकि वे जर्जर स्थिति में न पहुंचे।