मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राज्य के कर्मचारियों के लिए 1 जुलाई 2021 से 31 जुलाई 21 के मध्य स्थानांतरणों में छूट प्रदान की गई है। इस अनुक्रम में शिक्षा विभाग द्वारा बिना किसी पूर्व तैयारी के आनन-फानन में विभाग की आधी-अधूरी स्थानांतरण नीति 12 जुलाई 2021 को जारी की गई है।
जिसके अनुसार स्थानांतरण हेतु इच्छुक शिक्षकों व कर्मचारियों को आवेदन करने का मात्र 3 दिन का समय दिया गया है, आवेदन की जटिल प्रक्रिया के तहत सबसे पहले आवेदक को अपने प्रधानाध्यापक अथवा प्राचार्य से आवेदन अग्रेषित कराना है, फिर संकुल प्राचार्य से अग्रेषित कराना है। जो कि तीन दिन में करा पाना संभव नहीं है।
इसके साथ ही विभाग द्वारा रिक्त पदों की सूची पोर्टल पर अपडेट नहीं की गई है। पोर्टल पर जो पद रिक्त दिख रहे हैं, खोजबीन करने पर पता चलता है कि वह वास्तव में रिक्त नहीं है। इसी प्रकार वास्तव में जिन शालाओं में पद रिक्त है, वह पोर्टल पर अपडेट नहीं हो रहे हैं।
जैसे-तैसे शिक्षक आवेदन पूर्ण कर संकुल प्राचार्य के पास लेकर जाता है, तो वह उसके आवेदन को यह कहकर अमान्य कर देता है कि उनके स्थानांतरण होने से उसके विषय के शिक्षक की कमी होगी, शाला शिक्षक विहीन एवं एक शिक्षकीय हो जावेगी? अब भला इसमें शिक्षक का क्या कसूर है कि वह शासन द्वारा पद पूर्ति न करने के कारण स्थानांतरण से वंचित हो रहा है।
संघ का आरोप है कि शिक्षा विभाग की तथाकथित आधी-अधूरी स्थानांतरण पॉलिसी सामान्य प्रशासन विभाग की पॉलिसी से मेल नहीं खा रही है। शिक्षा विभाग की इस अंधेरगर्दी से शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, नरेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, जवाहर केवट, प्रहलाद उपाध्याय, मुन्ना लाल पटैल, नरेन्द्र सेन, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पाण्डे, मनोज राय द्वेय, शहजाद द्विवेदी, रजनीश पाण्डे, अजय दुबे, सतीश उपाध्याय, अरूण दुबे, विनोद साहू, बलराम नामदेव, अजय राजपूत, गोपाल पाठक, हरिशंकर गौतम, गणेश चतुर्वेदी, के.के. तिवारी, कैलाश शर्मा, लक्ष्मण परिहार, हर्ष मनोज दुबे, श्यामनाराण तिवारी, संतोष तिवारी, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक आदि ने स्कूल शिक्षा मंत्री से ईमेल भेजकर मांग की है कि शिक्षा विभाग में शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया का सरलीकरण आवेदन करने की समय-सीमा बढ़ाकर उसे बंधनमुक्त स्थानांतरण का अवसर दिया जाये।