भारत निर्वाचन आयोग ने कहा है कि चुनाव के दौरान शासकीय सेवकों को आयोग द्वारा जारी आदर्श आचरण संहिता में दिये गये निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा तथा अपने आचरण एवं व्यवहार में पूर्ण निष्पक्षता बरतनी होगी ।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आदर्श आचरण संहिता का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिये हैं।
जबलपुर कलेक्टर ने इस बारे में आदेश जारी कर कहा है कि शासकीय कर्मचारियों को चुनाव में न केवल निष्पक्ष रहना चाहिये, बल्कि जनता को उनकी निष्पक्षता का विश्वास भी होना चाहिए। उन्हें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे ऐसी शंका भी हो सके कि वे किसी दल या उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि शासकीय कर्मचारी किसी भी प्रकार चुनाव प्रचार या अभियान में भाग नहीं ले सकेंगे, ताकि उनकी हैसियत या अधिकारिता का लाभ कोई दल या उम्मीदवार ना ले सकें। आदेश के अनुसार निर्वाचन में किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करना मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों के विपरीत होगा।
इसी प्रकार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 129 एवं 134 क के अनुसार निर्वाचनो से संलग्न अधिकारी-कर्मचारी न तो किसी अभ्यर्थी के लिए कार्य करेगा और न मत दिए जाने में कोई असर डालेगा । कोई भी शासकीय सेवक निर्वाचन अभिकर्ता, मतदान अभिकर्ता या गणना अभिकर्ता के रूप में कार्य नहीं कर सकेगा।
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 28-क के अधीन नियमों के संचालन के लिए सुनियोजित समस्त अधिकारी-कर्मचारी तथा राज्य सरकार द्वारा पदाभिहित पुलिस अधिकारी निर्वाचन के परिणाम घोषित होने तक निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर माने जायेंगे तथा निर्वाचन आयोग के नियंत्रण और अनुशासन के अधीन रहेंगे।
निर्वाचन की प्रक्रिया के दौरान पदीय कर्त्तव्यों की अवहेलना करने वाले शासकीय सेवकों के विरुद्ध मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत कठोर कार्यवाही की जायेगी।