मध्य प्रदेश में तीन विद्युत वितरण कंपनियां हैं और तीनों कंपनियों के संविदा कार्मिकों के लिये एक संविदा नीति बनायी गई है। लेकिन ताज्जुब की बात है कि प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा लागू की गई संविदा नीति का पालन प्रदेश की सिर्फ एक ही विद्युत वितरण कंपनी कर रही है, बाकी दो विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन अडिय़ल रवैया अपनाये हुये हैं और संविदा नीति के पालन में हीलाहवाली कर रही है।
बताया जा रहा है कि प्रदेश की पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में कार्यरत हजारों संविदा कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना तो दूर की बात है, नई राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है। जबकि लगभग तीन वर्ष पूर्व मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पत्र जारी कर संविदा नीति के अमल हेतु निर्देशित किया गया था।
बावजूद इसके पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन अडिय़ल रवैया अपनाये हुये है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी पत्र में कहा गया था कि जिन संविदा कार्मिकों को पूर्व से ईपीएफ अथवा राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ प्राप्त नहीं हो रहा हो, उन्हें राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ दिया जाये।
सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड जबलपुर एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर के संविदा कार्मिकों को वर्तमान में भी राष्ट्रीय पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि 2012 से 2018 तक वितरण कंपनियों द्वारा एनपीएस के लिये कटौती की गयी एवं 2018 से अचानक कटौती बंद कर दी गयी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कटौती बंद होने के बाद हजारों संविदा कार्मिकों का लाखो रुपये एनपीएस एकाउंट में जमा है एवं वितरण कंपनियों द्वारा उक्त पैसे के संबंध में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिये जा रहे है और न ही पैसा लौटाया जा रहा है और न ही उक्त पैसा पीपीएफ अथवा ईपीएफ एकाउंट में डाला जा रहा है, इससे सविंदा कार्मिकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वहीं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों के संविदा कर्मियों के वेतन से ईपीएफ कटौती की जा रही है। जबकि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंधनों द्वारा भेदभाव करते हुये संविदा कार्मिकों को एनपीएस योजना का लाभ 2018 से नहीं दिया जा रहा है।