बिजली कंपनी के द्वारा एक बार फिर बिना जांच के किसानों के कृषि पंपों का भार बढ़ाकर बिजली के बिल भेजे जाने से हड़कंप मच गया। किसानों को अनाप-शनाप बिजली बिल भेजे जाने पर भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केके अग्रवाल ने कहा कि बिजली कंपनी के द्वारा किसानों का आर्थिक व मानसिक शोषण कर अवैध वसूली का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।
केके अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा 12 सितंबर 2024 को सभी किसानों को मोबाइल पर मैसेज भेजे गये कि उनके कृषि पंप की जांच में स्वीकृत भार से अधिक भार पाया गया है, यदि कोई आपत्ति है तो 15 दिवस के अंदर संबंधित विद्युत वितरण केन्द्र में शिकायत दर्ज करें या 1912 मे शिकायत मे आनलाइन शिकायत करें। संदेश प्राप्त होते ही किसानों मे हड़कंप मच गया, वे सकते में आ गये।
केके अग्रवाल ने कहा कि चूंकि विद्युत वितरण कंपनी द्वारा मैसेज मे उल्लेखित पंपों की जांच की बात पूर्ण रूप से फर्जी थी, कंपनी द्वारा पंपों की नियमानुसार विधिवत जांच किये बिना हॉर्सपावर बढ़ाने के संदेश दिये गये थे, अतः किसानों ने अपने-अपने विद्युत वितरण केन्द्र में लिखित शिकायत दी, अपनी आपत्ति दर्ज कराई व पूर्व के बिलों के आधार पर बिलिंग करने का अनुरोध किया।
केके अग्रवाल ने कहा ये विडंबना है कि विद्युत कंपनी द्वारा बिना शिकायत के निवारण किए मनमाने ढंग से किसानों को 3 हॉर्सपावर की जगह 8 हॉर्सपावर और 5 हॉर्सपावर की जगह 10 एवं 15 हॉर्सपावर के बिल भेजकर अवैध वसूली का षडयंत्र रचा गया। वस्तुस्थिति की जानकारी के लिए एक उदाहरण के रूप मे किसानों के राष्ट्रीय संगठन भारत कृषक समाज ने दिनांक 25 नवंबर 2024 को जबलपुर जिले के पनागर डीसी के जूनियर इंजीनियर को दबाव देकर ग्राम सिंगौद पनागर के एक कृषक के पंप, जो की तीन हॉर्सपावर का है और उन्हें 8 हॉर्सपावर का बिल थमा दिया गया, की जांच कराई। जांच उपरांत पंप तीन हॉर्सपावर का ही पाया गया। जिसे कंपनी द्वारा नकली जांच के नाम पर 8 हॉर्सपावर बताया जा रहा था। इससे यह प्रमाणित हो गया कि विद्युत कंपनी द्वारा प्रेषित मैसेज में कही गई जांच की बात पूरी तरह से झूठ है।
इसके अलावा दिनांक 27 नवंबर 2024 को जबलपुर कलेक्टर के साथ कृषकों की हुई मीटिंग के दौरान विद्युत कंपनी के द्वारा किये गये फर्जीवाड़े को भारत कृषक समाज के जिला उपाध्यक्ष सुभाष चंद्रा द्वारा जोरदार तरीके से उठाया गया और पूरे मामले पर जांच कराने का आग्रह किया गया है। मीटिंग के दौरान सुभाष चंद्रा ने जिला कलेक्टर से यह भी शिकायत की है कि विद्युत कंपनी के अधीक्षण यंत्री (जबलपुर ग्रामीण) से जब इस सम्बन्ध में फोन पर बात की गई तो उन्होंने किसानों के लिए अपशब्दों का उपयोग करते हुए उन्हें बेईमान तक करार दे दिया।
मीटिंग में जिला कलेक्टर को यह भी जानकरी दी गई कि वर्ष 2014 में भी किसानों के साथ ऐसे ही लूट का षडयंत्र रचा गया था, किसानों की ओर से मामला भारत कृषक समाज द्वारा विद्युत उपभोक्ता फोरम में निराकरण के लिए पेश किया गया था, सघन जांच पड़ताल हुई, जिसमें विद्युत वितरण कंपनी को पूर्ण रूप से गलत पाया गया था। एक बार पुनः 22 अप्रैल 2023 को भी कंपनी ने ऐसे फर्जी मैसेज किसानों को भेजे थे, परंतु कृषकों के भारी विरोध और आगामी होने वाले चुनावों के नुकसान के मद्देनजर उस पर अमल नहीं हो सका।
केके अग्रवाल ने कहा कि हैरानी की बात है कि ऊर्जा विभाग द्वारा कृषकों के पंप की जांच हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश बनाये गये हैं, परंतु अधिकारी मनमानी कर रहे है और गाईड लाईन का बेखौफ उल्लंघन कर रहे है और बार-बार षडयंत्र करके कृषकों न केवल लूटने का काम किया जा रहा है, बल्कि किसानों को खेती-बाडी के काम से दूर कर न केवल विद्युत कंपनी के कार्यालयों में चक्कर लगाने मजबूर किया जा रहा है, वरन उन्हें बेइज्जत कर नाना प्रकार से सताया व प्रताड़ित किया जा रहा है। धमकियां दी जा रही हैँ। उनमें भय का वातावरण निर्मित किया जा रहा है। सरकार से विद्युत कंपनी के किसानों से अवैध वसूली के इस कुत्सित प्रयास को रोकने तथा किसानों को आर्थिक एवं मानसिक शोषण से बचाने पत्रों के माध्यम से कई बार निवेदन किया गया है। यदि सरकार इसे संज्ञान में नहीं लेती है तो किसान न्यायालय की शरण लेंगे।