बेमौसम हुई बारिश के कारण गीली हुई उपार्जित धान को सुखाने और अपग्रेड करने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने यह जानकारी देते हुये बताया कि जिले में किसानों से अभी तक 2 लाख 6 हजार मैट्रिक धान का उपार्जन किया गया है। इसमें से 9 हजार 300 मेट्रिक टन धान ही बारिश से गीली हुई है, जबकि शेष धान पूरी तरह सुरक्षित है। जिले में 1 लाख 60 हजार मैट्रिक टन उपार्जित धान को बारिश के पूर्व ही पूरी तरह सुरक्षित रूप से भंडारित कर लिया गया था।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि जबलपुर में रविवार को दोपहर बाद से मौसम ठीक है और भीगी हुई धान को धूप में सुखाकर अपग्रेड करने का कार्य जारी है। सभी अधिकारी कर्मचारियों को बारिश के कारण गीली हुई धान को सुखाकर अपग्रेड कराने की कारवाई युद्ध स्तर पर करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि बारिश की वजह से धान में हुई वास्तविक क्षति का आंकलन अपग्रेड की कार्यवाही पूर्ण होने पर किया जा सकेगा।
दीपक सक्सेना ने बताया कि निरीक्षणकर्ता अधिकारियों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार बारिश के कारण भीगी धान में से अधिकांश मात्रा धूप में सुखाकर अपग्रेड कर ली जायेगी। उन्होंने कहा कि कतिपय उपार्जन केन्द्रों पर मामूली नुकसानी की संभावना है, जिसके लिये ज़िम्मेदार समितियों एवं अधिकारी कर्मचारियों के विरूद्ध कारवाई की जायेगी।
दीपक सक्सेना ने स्पष्ट किया है कि जिन किसानों से एफएक्यू धान ख़रीद ली गई है, उन्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। इन किसानों को पूरा भुगतान सुनिश्चित किया जायेगा। यदि धान में क्षति हुई होगी तो उसकी वसूली संबंधित उपार्जन संस्था से की जायेगी। उन्होंने बताया कि जिले में बारिश के कारण प्रभावित धान के बारे में उपार्जन केन्द्रों की जांच कर जानकारी संकलित की गई है।
जांच में पाया गया है कि अभी तक किसानों से 2 लाख 06 हजार मैट्रिक टन धान उपार्जित की गई है, जिसमें से 9 हजार 300 मैट्रिक टन (4.50 प्रतिशत) धान बारिश के कारण गीली हो पाई है। उपार्जित धान में से 1 लाख 60 हजार मैट्रिक टन (78 प्रतिशत) धान पूरी तरह सुरक्षित रूप से भंडारित है। उपार्जन केन्द्रों पर 46 हजार मैट्रिक टन (22 प्रतिशत) धान ही खुले में रखी हुई थी।
जिले में 101 उपार्जन केन्द्रों पर किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही है। इनमें से बारिश के कारण 34 केन्द्रों पर रखी उपार्जित धान बारिश से प्रभावित हुई है। उपार्जन केन्द्रों पर 46 हजार मैट्रिक टन (22 प्रतिशत) धान खुले में रखी हुई थी। इसके अलावा अनुमानित 650 किसानों द्वारा लगभग 23 हजार मैट्रिक टन धान उपार्जन के लिए उपार्जन केन्द्रों पर लाई गई थी जिसमें से 5 हजार 200 मैट्रिक टन धान बारिश में गीली हुई है।