Tuesday, November 5, 2024
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एमपी हाईकोर्ट की युगलपीठ ने भी खारिज की कांग्रेस के वैकल्पित प्रत्याशी मोतीसिंह की याचिका

इंदौर (हि.स.)। इंदौर उच्च न्यायालय की युगलपीठ से भी कांग्रेस को राहत नहीं मिली है। पार्टी के वैकल्पिक प्रत्याशी मोती सिंह पटेल की याचिका को हाईकीर्ट ने खारिज कर दी है। कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम की नाम वापसी के बाद मोती सिंह ने कांग्रेस की ओर से उम्मीदवारी की अपील की थी, जिस पर शुक्रवार दोपहर में सुनवाई हुई थी, जिसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। इसके पहले हाई कोर्ट की एकलपीठ ऐसा करने से इनकार कर चुकी है।

पटेल का कहना था कि उन्होंने पार्टी के वैकल्पिक प्रत्याशी के रूप में नामांकन फार्म जमा किया था। पार्टी ने बी-फार्म में उनके नाम का उल्लेख भी किया था। पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी द्वारा नामांकन फार्म वापस लेते ही उन्हें पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का अधिकार मिल गया है। निर्वाचन आयोग को आदेश दिया जाए कि उन्हें कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी घोषित करते हुए चुनाव चिह्न आवंटित करे, लेकिन कोर्ट ने इससे इंकार कर दिया।

गौरतलब है कि नामांकन फार्म वापस लेने के अंतिम दिन 29 अप्रैल को इंदौर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अक्षय बम ने अपना नामांकन फार्म वापस ले लिया था। पार्टी के नेता मोतीसिंह पटेल ने भी कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में नामांकन फार्म जमा किया था, लेकिन उनका फार्म स्क्रूटनी के दौरान ही निरस्त हो गया, क्योंकि उनके नामांकन फार्म पर प्रस्तावक के रूप में दस लोगों के बजाय एक व्यक्ति के हस्ताक्षर थे।

पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के नामांकन फार्म वापस लेने के बाद मोतीसिह पटेल ने एडवोकेट विभोर खंडेलवाल के माध्यम से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी। इसमें कहा था कि कांग्रेस द्वारा जारी बी फार्म में दो प्रत्याशियों के नाम थे। इसमें अक्षय बम का नाम अनुमोदित प्रत्याशी और मोतीसिंह पटेल का नाम वैकल्पिक प्रत्याशी के रूप में था।

जिला निर्वाचन अधिकारी ने मोतीसिंह का नाम इस आधार पर निरस्त किया है कि उनके फार्म पर प्रस्तावक के रूप में 10 लोगों के बजाय सिर्फ एक व्यक्ति का नाम था। चूंकि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी ने नामांकन वापस ले लिया गया है, इसलिए फार्म बी के आधार पर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में मोतीसिंह के नाम की घोषणा की जाना चाहिए, क्योंकि पार्टी की तरफ से नामांकन फार्म जमा करने में प्रस्तावक के रूप में सिर्फ एक व्यक्ति के हस्ताक्षर पर्याप्त हैं।

न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की खंडपीठ ने दो दिन पहले ही पटेल की याचिका निरस्त कर दी थी। पटेल ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। शुक्रवार को एक घंटे से अधिक समय तक चली बहस में पटेल की तरफ से एडवोकेट विभोर खंडेलवाल ने तर्क रखा कि पटेल का अधिकार उसी वक्त शुरू हुआ जब अक्षय बम ने अपना नामांकन फार्म वापस लिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो शनिवार को जारी हुआ।

अब कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। संभावना है कि पांच मई तक अपील दायर करा दी जाएगी। मोती सिंह पटेल के वकील विभोर खंडेलवाल ने हाईकोर्ट युगलपीठ से अपील खारिज होने की पुष्टि की है। उन्होंने फैसले की कॉपी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की बात भी कही।

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