जबलपुर मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की मंशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश विद्युत मंडल के कंपनीकरण के समय प्रदेश की विद्युत कंपनियों में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या 72000 थी। लेकिन नियमित अंतराल में नियमित पदों पर भर्ती नहीं किए जाने से अधिकारियों एवं कर्मचारियों बहुत कम रह गई है।
हालांकि ऊर्जा विभाग द्वारा बीच में बीच में संविदा और नियमित आधार पर जमीनी अधिकारियों की भर्ती की गई, लेकिन बिजली कंपनियों की लाइफलाइन लाइनमैनों की नियमित भर्ती की घोर अनदेखी की गई। बहुत जरूरी होने पर विद्युत वितरण कंपनियों में वर्ष 2013 में संविदा के आधार पर कुछ लाइनकर्मियो एवं परीक्षण सहायकों की भर्ती की गई, जो कि बढ़ती उपभोक्ताओं की संख्या के अनुपात में नाकाफी साबित हो रही है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 2000 से अब तक 24 वर्षों में विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या चार गुना बढ़ चुकी है, इसलिए इसी अनुपात में नियमित कर्मचारियों की भी भर्ती की जानी चाहिए थी, लेकिन नियमित कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने से इन 24 वर्षों में सभी बिजली कंपनियों में नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत ही बची है। वहीं नियमित लाइन कर्मियों के विरुद्ध आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती की गई और आज हर कोई इससे वाकिफ है कि किस तरह आउटसोर्स कर्मियों का शोषण कर उन्हें मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 2000 से अब तक किसी भी सरकार और ऊर्जा विभाग द्वारा अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए ठोस नीति नहीं बनाई गई, जबकि विद्युत विभाग इतना अतिआवश्यक विभाग है कि इसके बिना आज आमजन के साथ उद्योग भी एक पल नहीं चल सकते। विद्युत विभाग एक ऐसा विभाग है, जो कभी समाप्त होने वाला नहीं है। इसलिए विद्युत कंपनियों की नींव मजबूत करने के लिए नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भर्ती करना था, मगर सभी विद्युत वितरण कंपनियों में लगभग 50000 आउटसोर्स कर्मचारी की भर्ती कर विद्युत कंपनियों की नींव को कमजोर करने का कार्य किया गया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार और ऊर्जा विभाग की मंशा बिजली कंपनियों का निजीकरण है।
संघ के केएन लोखंडे, एसके मौर्य, एसके सिंह, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, विनोद दास, संदीप दीपांकर, राहुल दुबे, दशरथ शर्मा, संदीप यादव, पवन यादव, अमीन अंसारी, पीएम मिश्रा, राकेश नामदेव आदि ने मध्य प्रदेश सरकार एवं ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि जिस अनुपात में उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी है, उस अनुपात में नियमित कर्मचारियों की पूर्ति के लिए सभी आउटसोर्स कर्मचारियों का संविलियन करते हुए नियमित कर्मचारियों की भर्ती की जाए और बिजली कंपनियों को निजीकरण की ओर न ले जाया जाए।