Tuesday, November 5, 2024
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मददगार मुख्यमंत्री ने खोल दिया सरकारी खजाना, पांच माह के बच्चे को मिला नया जीवन

भोपाल (हि.स.)। भारतीय संस्कृति ने जीवन-मरण और आत्मा के प्रकाश के बारे में जितना अधिक गहराई से बताया है, फिलहाल वहां तक आधुनिक विज्ञान को भी पहुंचने में अभी बहुत वक्त लगेगा, लेकिन संत तुलसी दास ने उसे बहुत सरल शब्दों में समझाया है। बाबा तुलसी का कहना है कि ‘हानि लाभ जीवन मरन जस अपजस विधि हाथ’ यानी कि हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश व अपयश यह छह वस्तु भगवान के हाथ में होती है, मनुष्य के हाथ में नहीं। इसलिए ही शायद भगवान जिसकी मदद करना चाहते हैं, उसके लिए किसी को विचार देकर सहयोग के लिए भेज देता है।

मध्य प्रदेश में पांच माह के शिशु जीवन से जुड़ा सामने आया एक प्रकरण भी कुछ ऐसा ही है। सीहोर जिले के बुधनी के नीमतोन ग्राम के पांच माह के बच्चे लव्यांश के माता-पिता का भी उसके जीवित बच जाने को लेकर बहुत बुरा हाल था! उन्हें लग रहा था कि सारे रास्ते बंद हो चुके हैं, चिकित्सक जवाब दे चुके हैं, अब एक ही सहारा है, वह है भगवान का और उन्हीं से अब अपने बच्चे को नया जीवनदान दिए जाने के लिए प्रार्थना की जाए। तभी इसे विशेष चेतना का प्रकाश ही मानिए कि उन्हें अपने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की याद आई और उन्होंने बालक के इलाज के लिए आर्थिक सहायता की मांग उनसे की।

दरअसल, मांग कोई छोटी नहीं थी, बात कुछ हजार या लाख रुपयों की भी नहीं थी, एक बहुत मोटी रकम बालक के इलाज पर खर्च होनी थी। क्योंकि जन्म से ही कमजोर और पीलिया से पीड़ित लव्यांश का लिवर उचित इलाज के अभाव में फेल होने लगा था, जिसके बाद चिकित्सक भी माता-पिता को जवाब दे चुके थे। उन्हें यह बता दिया गया था कि अब बालक का जीवन लीवर ट्रांसप्लांट के माध्यम से ही बचाया जाना संभव है, ऐसे में पिता सुनील चौहान को कुछ समझ नहीं आ रहा था, आखिर वह क्या करे और क्या न करे, किसके पास मदद की गुहार लेकर जाए, क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार लाखों रुपयों का खर्च पूरे इलाज के दौरान आना था।

तब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से आर्थिक सहायता के लिए आग्रह किया गया, जिसमें सीएम यादव ने सबसे पहले तो इलाज का खर्चा उठाने में असमर्थ लव्यांश के परिवार की स्थिति का पता चलते ही तत्काल बंसल अस्पताल में भर्ती करवाया। उसके बाद आवश्यक सहायता राशि स्वीकृत कर चिकित्सकों को बच्चे के लिवर ट्रांसप्लांट के निर्देश दे दिए। अब परिणाम यह है कि ऑपरेशन के बाद बच्चा स्वस्थ है। जिसके बाद अर्थ के अभाव में खुद को असहाय मानने वाले माता-पिता ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की है।

पिता सुनील कुमार का कहना है कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री मोहन यादव की ओर से आर्थिक सहायता नहीं मिलती तो वे बच्चे के जीवन को नहीं बचा पाते। बेटा जन्म से ही कमजोर और पीलिया पीड़ित था, जिसका इलाज पहले स्थानीय स्तर पर करवाया गया, जब कोई फायदा नहीं हुआ तो वे भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) इलाज के लिए आए। यहां सभी जांच कराने पर चिकित्सकों ने बताया कि बालक की पित्त ले जाने वाली नली और पित्ताशय की थैली का निर्माण ही नहीं हो सका है, जिसके चलते बच्चे का लिवर भी फेल होने की स्थिति में पहुंच चुका है। चिकित्सकों ने बताया कि अब बालक का जीवन बचाने का लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा शेष कोई विकल्प नहीं। वहीं, उन्होंने इसमें होनेवाली खर्च राशि लगभग 20 लाख बताई थी।

सुनिल का कहना है कि उक्त राशि खर्च करना उसके लिए संभव नहीं था, ऐसे में उन्होंने बेटे के इलाज के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से गुहार लगाई, मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को समझते हुए उन्होंने तत्काल 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता लव्यांश के इलाज के लिए मुहैया कराने के आवश्यक निर्देश दे दिए। जिसके बाद बालक का बंसल अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट सफलता से पूरा हो गया है। वह अब स्वस्थ है। माता-पिता ने मुख्यमंत्री जी की इस सहृदयता और संवेदनशीलता के लिए उन्हें बार-बार धन्यवाद दे रहे हैं।

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