मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों में ठेका कंपनियों के अंतर्गत नियुक्त किए गए आउटसोर्स कर्मियों का भरपूर शोषण किया जा रहा है। एक ओर ठेका कंपनी नियमानुसार न तो वेतन देती और न ही ईपीएफ, स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा जैसी अति आवश्यक अन्य सुविधाएं प्रदान करती हैं। वहीं दूसरी ओर किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर सरकारी बिजली कंपनियों का प्रबंधन भी आउटसोर्स कर्मियों को बाहरी बताकार की किसी भी प्रकार की सहायता करने से इंकार कर देता है।
वहीं सरकारी कंपनी के अधिकारी आउटसोर्स कर्मियों का हद से ज्यादा शोषण करते हैं। दबाव बनाकर नियम विरुद्ध करंट का कार्य कराने के लिए तत्पर रहने वाली बिजली कंपनियों के लिए आउटसोर्स कर्मियों के जीवन का कोई मोल नहीं है। तभी तो नियम विरुद्ध कार्य कराए जाने के दौरान करंट लगकर सैंकड़ों आउटसोर्स कर्मी असमय काल के गाल में समा गए और कई अपंग हो गए, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने न ही कभी घायल आउट सोर्स कर्मी की सुध ली और न ही कभी मृत कर्मी के परिजनों को ढांढस बंधाया।
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के छिंदवाड़ा सर्किल के अमरवाड़ा डिवीजन के सुरला खापा डीसी में पदस्थ आउटसोर्स कर्मी संतोष ताराम को दबाव बनाकर नियमविरुद्ध करंट का कार्य कराए जाने के लिए बिजली अधिकारी ने पोल पर चढ़ा दिया। लेकिन लाइन बंद करने का परमिट लेते समय घोर लापरवाही की गई। सब-स्टेशन से एबी स्विच काटे बिना ही परमिट दे दिया गया।
जिसके कारण सुधार कार्य के लिए पोल पर चढ़ा आउटसोर्स कर्मी संतोष ताराम करंट की चपेट में आ गया और वहीं उसकी मृत्यु हो गई। बताया जा रहा है कि बिजली की सप्लाई घोगरी डीसी से हुई थी। बताया जा रहा है कि परमिट लेने के बाद वह जैसे ही कार्य करने हेतु खंबे पर चढ़ा, वैसे ही करंट की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई।
मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मैदानी क्षेत्रों में बिजली कर्मियों की बेतहाशा कमी हो चुकी है। जिसके चलते करंट का कार्य करने के लिए नियमित लाइन कर्मी नहीं हैं और जो कर्मी कार्यरत हैं, उनमें से अधिकांश उम्र दराज हो चुके और पोल पर चढऩे की स्थिति में नहीं है। इसलिए कंपनी प्रबंधन को उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति और सेवाए प्रदान करना है तो तत्काल संविदा कर्मियों का नियमितीकरण और आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन किया जाए।