Monday, November 25, 2024
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बिजली कंपनी प्रबंधन के निर्णय से अधिकारी हुए दो फाड़, आपस में मची तनातनी

बिजली कंपनी प्रबंधन के एक निर्णय ने अधिकारियों को दो फाड़ कर दिया है। वेतन विसंगति दूर करने के लिए जारी किए एक निर्णय ने एक ओर जहां नई विसंगति उत्पन्न कर दी है, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों के बीच तनातनी मचा दी है।

विश्वस्त विद्युत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों के वेतन में ओ3 (O3) और ओ3* (O3*) के कारण उत्पन्न वेतन विसंगति को दूर करने के निर्देश देते हुए प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा था कि ओ3 और ओ3* के कारण उत्पन्न सभी अधिकारियों की वेतन विसंगति दूर की जाए, लेकिन ऊर्जा विभाग के द्वारा प्रेषित पत्र पर कार्यवाही के लिए बिजली कंपनी प्रबंधन द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया से सभी अधिकारियों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा, जिससे पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अधिकारियों के बीच तनातनी मची हुई है।

ऊर्जा विभाग के पत्र में कहा गया है कि उत्तरवर्ती कंपनियों के मानव संसाधन प्रमुखों की समिति द्वारा कंपनी कैडर के ऐसे कार्मिक, जिनकी नियुक्ति ह्यूमन केपिटल मेन्युअल लागू होने के पूर्व जारी विज्ञापनों के अंतर्गत हुई है, को अधीक्षण अभियंता एवं समकक्ष वेतनमान में ओ3* के स्थान पर ओ3 लेवल का वेतनमान दिये जाने का अभिमत प्रेषित किया गया था, जिसे परीक्षण उपरांत मान्य किया गया है। निर्देशानुसार समस्त उत्तरवर्ती कंपनियों के कंपनी कैडर के ऐसे कार्मिक, जिनकी नियुक्ति हेतु जारी विज्ञापन की अंतिम तिथि विद्युत कंपनियों में ह्यूमन केपिटल मेन्युअल लागू होने के पूर्व की है, को सातवें वेतनमान में अधीक्षण अभियंता एवं समकक्ष वेतनमान में ओ3* के स्थान पर ओ3 लेवल का वेतनमान दिये जाने हेतु संबंधित कंपनी के संचालक मण्डल के अनुमोदन उपरांत आवश्यक कार्यवाही किये जाने का कृपया अनुरोध है।

ऊर्जा विभाग के पत्र के आधार पर पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन के द्वारा लिए गए निर्णय से नई विसंगति उत्पन्न हो गई। इस संबंध में बताया जा रहा है कि विद्युत कंपनियों में वर्ष 2011 से 2013 तक लागू ह्यूमन कैपिटल मेन्युअल को वर्ष 2008 से भर्ती किये गये कम्पनी कैडर के समस्त कार्मिकों पर समान रूप से प्रभावी किया गया था। इसके पश्चात ‌ह्यूमन कैपिटल मेन्युअल को 1 सितंबर 2013 की तिथि से 2006 से भर्ती किये गये कंपनी कैडर के समस्त कार्मिकों पर समान रूप से निष्प्रभावी किया गया था।

इस वजह से वर्ष 2006 से 2011 के बीच भर्ती हुए कंपनी कैडर के अधिकारियों को ओ3 का लाभ मिलेगा, लेकिन नवंबर 2011 से आज तक विद्युत सेवा में भर्ती हुए अधिकारियों को ओ3 का लाभ नहीं मिलेगा, जिससे इस समयावधि में नियुक्त अधिकारियों को प्रतिमाह हजारों रुपए का नुकसान होगा।

विद्युत सूत्रों की मानें तो ओ3 और ओ3* के कारण पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के 568 कार्मिकों के वेतन में विसंगति थी। ऊर्जा विभाग के आदेश के बाद 2006 से 2011 के बीच भर्ती हुए कंपनी कैडर के 185 अधिकारियों को ओ3 का लाभ मिलेगा, जबकि नवंबर 2011 से आज तक भर्ती हुए 383 अधिकारियों को ओ3 का लाभ नहीं मिल पाएगा, इसी को लेकर अधिकारियों में आक्रोश उपज रहा है। साथ ही इस निर्णय के बाद अधिकारियों के दो गुट बन गए है और उनमें आपस में तनातनी मची हुई है।

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