मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में आपातकाल की संघर्ष गाथा पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगी। आपातकाल के कष्टों से वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराने के उद्देश्य से तत्कालीन परिस्थितियों, दमन और लोकतंत्र सेनानियों की जीवटता का उल्लेख पाठ्यक्रम में किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव लोकतंत्र सेनानियों के प्रादेशिक सम्मेलन को मुख्यमंत्री निवास में संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुख्यमंत्री निवास पधारे लोकतंत्र सेनानियों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्वलित कर भारत माता, नानाजी देशमुख एवं श्री जयप्रकाश नारायण के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। लोकतंत्र सेनानियों का प्रादेशिक सम्मेलन वंदे-मातरम गान के साथ आरंभ हुआ। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री निवास मुख्यमंत्री का निवास नहीं, अपितु लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक भाग है और लोकतंत्र सेनानी लोकतांत्रिक व्यवस्था के सर्वाधिक सम्मानित व्यक्ति हैं। मुख्यमंत्री निवास में स-सम्मान आना उनका अधिकार और सेनानियों का स्वागत व सम्मान करना हमारा कर्तव्य है, लोकतंत्र सेनानी मुख्यमंत्री निवास पधारे, यह हमारा सौभाग्य है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों को सर्किट हाऊस और विश्राम गृह में तीन दिन तक रूकने की सुविधा तथा किराये में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। जिन लोकतंत्र सेनानियों को अब तक ताम्रपत्र प्राप्त नहीं हुए हैं, उन्हें ताम्रपत्र प्रदान किये जाएंगे। लोकतंत्र सेनानियों को पास दिखाने पर टोल नाकों पर भी छूट रहेगी। उनके आयुष्मान कार्ड द्वारा इलाज पर हुए व्यय के भुगतान में विलम्ब नहीं होगा। कलेक्टर द्वारा 3 माह में भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। गंभीर स्वास्थ्य समस्या की स्थिति में उपचार के लिए बड़े अस्पताल या अन्य महानगर जाने के लिए उन्हें एयर एम्बुलेंस सुविधा उपलाब्ध कराई जाएगी। प्रदेश में आरंभ एयर टैक्सी सुविधा के किराए में 25 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। लोकतंत्र सेनानियों की राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंत्येष्ठी की जाएगी। इसके साथ ही अंत्येष्ठी के समय दी जाने वाली 8 हजार रुपए की राशि को 10 हजार रुपए किया जाएगा। लोकतंत्र सेनानियों के परिवार के सदस्यों को उद्योग धंधे लगाने अथवा अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उनके लिये रोजगार की व्यवस्था की जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी सरकार, भारत के लोकतंत्र को सम्पूर्ण विश्व में गौरवान्वित कर रही है। लोकतांत्रिक व्यवस्था को जीवंत बनाए रखने में लोकतंत्र सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान है। तत्कालीन सत्तारूढ़ दल की दमनकारी नीतियों से सभी परिचित हैं। आपातकाल के काले दौर में लोकतंत्र सेनानियों ने संघर्ष कर लोकतंत्र को सच्चे अर्थों में स्थापित किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पड़ोसी देशों में जहां लोकतंत्र की हत्या हो गई, वहीं भारत में लोकतंत्र सेनानियों की अनुशासित सेना तथा उनके संघर्ष के परिणाम स्वरूप दोबारा चुनाव हुआ। साथ ही सत्ता का हस्तांतरण भी हुआ, जिससे देश में संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं निरंतर जारी रहीं। लोकतंत्र सेनानियों द्वारा घर-घर जाकर राष्ट्रवादी विचारों के प्रचार के परिणाम स्वरूप ही यह संभव हुआ। आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अनुसूचित जनजाति की बहन को राष्ट्रपति बनते हुए सम्पूर्ण विश्व ने देखा और सराहा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले भाषण में लोकतंत्र सेनानियों के संघर्ष को याद करते हुए उन्हें नमन् किया और कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था का सुचारू संचालन उन्हीं के प्रयासों से संभव हुआ है। यह जनता की लड़ाई, जनता के लिए, जनता द्वारा लड़े जाने का उत्कृष्ट उदाहरण है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों ने जिन उद्देश्यों के लिए संघर्ष किया था, वह सभी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सिद्ध होते दिखाई दे रहे हैं। धारा 370 का हटना, तीन तलाक, सुशासन आदि इसके प्रतीक हैं। विविधता वाले देश में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इतनी बड़ी उपलब्धियां अर्जित कीं इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश आंतरिक ही नहीं बाहरी चुनौतियों का भी पूरे सामर्थ्य से सामना करने में सफल हुआ है।
लोकतंत्र सेनानियों का किया गया सम्मान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष तपन भौमिक ने शॉल-श्रीफल और स्मृति-चिन्ह भेंट कर अभिवादन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव के राष्ट्रीय विचारधारा के प्रति समर्पण, राजनीतिक संघर्ष और उनके द्वारा भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में लोकतंत्र सेनानियों मंत्री तुलसीराम सिलावट, पूर्व मंत्री विक्रम वर्मा, अजय विश्नोई, रामकृष्ण कुसमरिया तथा मेघराज जी, कैलाश सोनी, माखन सिंह, अशोक पांडे, सूर्यकांत केलकर और सुरेश देशपांडे का अंग वस्त्र पहनाकर सम्मान किया गया तथा लोकतंत्र सेनानी के रूप में उनके संघर्ष का उल्लेख किया गया।