स्वास्थ्य विभाग की तरह विद्युत कंपनियों में भी लागू की जाए स्थानांतरण योजना

हमारे पूर्वजों ने सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था बनाई थी, ताकि मनुष्य अपने सुख-दुख और कठिन समय में खुद को अकेला महसूस न करे। परिवार के साथ रहकर पर्व और उत्सव हर्षोल्लास से मना सके, साथ ही दुख तथा बीमारी की स्थिति में अपनों का संबल बन सके। लेकिन मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों का प्रबंधन न केवल अमानवीय होता जा रहा है, अपितु अपने कर्मचारियों को परिजनों से दूर रहने को भी मजबूर कर रहा है।

मध्य प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति में अपना अहम योगदान देकर उजाला करने वाले विद्युत कर्मियों अपने परिजनों से दूर अकेलेपन के अंधेरे में जीने के लिए विवश हैं। विद्युत कंपनियों में कार्यरत नियमित और संविदा विद्युत कर्मी सरकार की मंशा को तो समझ रहे हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि सरकार और कंपनी प्रबंधन इन कर्मचारियों की मनोदशा नहीं समझ पा रहा है या समझना नहीं चाहता।

घर-परिवार से दूर विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले कर्मचारियों की पीड़ा को देखते हुए मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर कंपनी टू कंपनी ट्रांसफर पर यथाशीघ्र नीति बनाने की मांग की है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने अपने पत्र में लिखा कि मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल की उत्तरवर्ती कंपनियों में ऐसे जांबाज़ सिपाही हैं, जिनके कंधों पर प्रदेश के 52 जिलों की विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से चलायेमान रखने का पूरा जिम्मा है, चाहे कड़ाके की ठंड हो या मुसलाधार बरसात हो या फिर झुलसाती गर्मी हो, हर मौसम में सभी उपभोक्ताओं की बिजली निर्बाध चालू रखने में इनका सबसे बड़ा योगदान है।

उन्होंने कहा कि संविदा कर्मचारी, जिनकी नियुक्ति नियमित कर्मचारियों के विरुद्ध मण्डल की सभी कंपनियों में की गई है, कुछ संविदा कर्मचारी ऐसे है जो पूर्व क्षेत्र कंपनी में कार्यरत है, मगर उनका परिवार पश्चिम क्षेत्र या मध्य क्षेत्र कंपनी के अन्य जिलों में स्थाई रूप से निवास करता है। ऐसे में परिजनों से मिलने के लिए हजारों किलोमीटर की दूर बार-बार आने-जाने में इनका समय एवं पैसा दोनों बरबाद होता है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि संविदा कर्मचारी विद्युत मण्डल की सभी कंपनियों में कार्यरत हैं और वे सभी अल्प वेतन भोगी हैं, ऐसे में वे अपने माता-पिता तथा पत्नी-बच्चों का भरण-पोषण इस मंहगाई में बड़ी मुशकिल से पूरा कर पाते हैं। परिवार से अलग रहने पर उनके खर्च और बढ़ जाते हैं।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग में भी संविदा कर्मचारियों की भर्ती की गई है। जिनके लिए स्वैच्छिक स्थानातंरण योजना (पॉलिसी) लाई गई है। उन्होंने ऊर्जा मंत्री से मांग की है कि मप्र राज्य विद्युत मण्डल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिये भी इसी तरह की योजना लागू की जाए, जिसमें विद्युत कर्मचारी का एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्वैच्छिक स्थानातंरण हो सके।