मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर इंप्लाईज एवं इंजीनियर ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर ने कहा है कि प्रदेश की विद्युत कंपनियों में विगत कई वर्षों से अधोसंरचना के बढ़ने के आधार पर संगठनात्मक संरचना का पुन निर्धारण करने की मांग लगातार की जा रही है, लेकिन शासन एवं प्रबंधन द्वारा उस पर आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है जो शासन प्रबंधन की विद्युत कंपनियों के मानव संसाधन के प्रति उदासीनता प्रदर्शित करती है।
यूनाइटेड फोरम के संयोजक व्हीकेएस परिहार ने पत्र में कहा है कि एक ओर जहां नई विकसित अधोसंरचना के अनुपात में लगभग 25 वर्ष पुरानी संगठनात्मक संरचना लागू है, जिसपर शासन प्रबंधन कोई निर्णय नहीं ले रहा है, वहीं दूसरी ओर जो स्वीकृत पद हैं, उनको भी भरने में विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंधन की कोई रुचि नहीं है।
फोरम द्वारा तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की समीक्षा करने पर पाया गया कि कनिष्ठ यंत्री से मुख्य अभियंता स्तर तक कुल 3699 स्वीकृत पदों में 697 पद रिक्त पड़े हैं, जो कि लगभग 19 प्रतिशत है शासन एवं प्रबंधन अधोसंरचना बढ़ने के बावजूद अतिरिक्त कर्मी उपलब्ध कराने में नाकाम रहा है एवं स्वीकृत से लगभग 19 प्रतिशत कम अधिकारियों से कार्य कराया जा रहा है एवं किसी अधिकारी के काम में कोई कमी रह जाती है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही के लिए हमेशा तैयार रहता है।
पत्र में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि मैदानी अधिकारियों में सहायक यंत्री व कनिष्ठ यंत्री, जो वास्तव में विद्युत व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं, उनके लगभग 37 प्रतिशत पद खाली हैं, जोकि अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन की अत्यधिक कमी के कारण बेहद दबाव में काम कर रहे मैदानी अधिकारियों द्वारा अपना सर्वोत्तम प्रयास करने के बावजूद भी यदि कोई अपरिहार्य त्रुटि अथवा भूल हो जाती है तो उनका पक्ष सुने बिना उनपर प्रबंधन द्वारा उनके विरुद्ध तुरंत सख्त कार्यवाही कर दी जाती है, जबकि कार्यवाही उन जिम्मेदार प्रबंधन पर होनी चाहिए, जिसकी इन पदों का भरने को जिम्मेदारी है।
वहीं विद्युत वितरण कंपनियों में सबसे ज्यादा सोचनीय स्थिति मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की है, जिसमें सहायक व कनिष्ठ यंत्रियों के कुल 1262 में से 383 पद खाली हैं, इस प्रकार मध्य क्षेत्र कंपनी प्रबंधन लगभग 30 प्रतिशत कम मैदानी अभियंताओं से कार्य कराया जा रहा है। मध्य क्षेत्र के सभी स्तर के अधिकारियों के पदों की समीक्षा करें तो पाएंगे कि जो 27 पद कार्य. यंत्री के रिक्त हैं, यदि 27 सहायक यंत्रियों को वरीयता के आधार पर चालू प्रभार दिया जाता है तो सहायक यंत्रियों के 284+27=311 पद रिक्त हो जाएंगे, जिन्हें नियमानुसार कनिष्ठ मंत्रियों की वरीयता के आधार पर पदोन्नति एवं सीधी भर्ती से भरे जाना चाहिये। उसके उपरांत रिक्त हुए कनिष्ट यंत्रियों के पदों को भी सीधी भर्ती प्रक्रिया से भरा जाना चाहिए। जिससे मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को वर्तमान में ही बिना संगठनात्मक संरचना पुनरीक्षण के 410 सहायक व कनिष्ठ यंत्री मिल सकते हैं, जिससे की राजस्व वसूली में सुधार एवं वितरण हानियों में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।
यही स्थिति अन्य दो वितरण कंपनियों में भी है, जहां पर उपरोक्तानुसार 139 एवं 167 नये सहायक कनिष्ठ यंत्री पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों को मिल सकते हैं। इसी प्रकार की समीक्षा अन्य विद्युत कंपनियों में भी किया जाना आवश्यक है। उपरोक्त स्थिति पर यदि मुख्यमंत्री विचार कर संबंधितों को रिक्त पदों को भरने हेतु निर्देशित करते है तो वितरण कंपनियों को लगभग 700 सहायक व कनिष्ठ यंत्री उपलब्ध होने के साथ साथ नऊोरम द्वारा लंबे समय से कनिष्ठ यंत्रियों को सहायक यंत्री के पद पर वरिष्ठता के आधार पर नियमानुसार पदोन्नति की मांग को भी पूरा किया जा सकेगा।
फोरम यह भी मांग करता है कि समस्त विद्युत कंपनियांं विद्युत कर्मियों जैसे कार्यालय सहायक, तकनीकी सहायक, लाइनमैन हेल्पर एवं परीक्षण सहायक जैसे पदों पर भी मानव संसाधन की भीषण कमी से जुझ रही है। अत: फोरम पूर्वक आग्रह करता है कि विद्युत कंपनियों में सभी पदों पर स्वीकृत एवं कार्यरत कर्मियों की समीक्षा कर कर्मचारी स्तर पर भी पदोन्नति का व्यापक अभियान चला कर, इस प्रकार रिक्त पदों पर नई भर्तियां की जाये, जिससे राजस्व वसूली, वितरण हानि में कमी व विद्युत व्यवस्था में भी सुधार परिलक्षित होगा। इसके साथ ही प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होगें।
व्हीकेएस परिहार ने कहा है कि विद्युत कंपनियों में अधोसंरचना के अनुसार संगठनात्मक संरचना का पुनिरीक्षण विगत कई वर्षों से लंबित है, जिसके लिये फोरम लगातार मांग उठाता रहा है, लेकिन उस पर कार्यवाही आज तक अपेक्षित है। वर्तमान में सभी विद्युत कंपनियों में वरिष्ठ एवं अनुभवी कर्मचारी बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लेकिन ऊर्जा विभाग के साथ-साथ प्रबंधन द्वारा भी कोई ध्यान न दिये जाने के कारण कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है, जिससे कि कई प्रकार की त्रुटियां होने के कारण दुर्घटनायें भी बढ़ रही है एवं उपभोक्ताओं को समुचित सेवा देने में कंपनियां लगातार अक्षम होती जा रही है। जिससे उपभोक्ताओं में सेवा के कमी के कारण असंतोष उभर रहा है।