समय के अनुसार बदलाव जरूरी है और उन्नति करने के लिए आधुनिक तकनीकों और यंत्रों को अपनाना भी आवश्यक है, लेकिन क्या ये संभव है कि कोई भी संस्थान सिर्फ मशीनों के सहारे उन्नति कर सकता है? आखिर मशीनों को संचालित करने के लिए मानव की जरूरत तो पड़ेगी ही और नई तकनीक अपनाने के बाद उसमे आने वाले व्यवधान और त्रुटियों के सुधार के लिए भी एक्सपर्ट मानव तकनीशियनों की आवश्यकता भी पड़ेगी ही।
कहीं ऐसा न हो संस्थान का प्रबंधन कुछ कर्मियों का पैसा बचाने के चक्कर में चार गुना ज्यादा खर्च कर दे। ऐसी संभावना भी है कि अत्याधुनिक तकनीक और मशीनों के रखरखाव के लिए एक्सपर्ट मानव तकनीशियनों को मोटी तनख्वाह में नियुक्त करके लागत कम करने की बजाए उसमें बेवजह वृद्धि कर दी जाए और इसका परिणाम अंततः हासिल आई शून्य हो जाए। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी प्रबंधन के द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत मानव रहित रिमोट से संचालित 132 केवी सब-स्टेशन स्थापित किए जायेंगे, जिसकी शुरुआत जबलपुर से की जावेगी।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि 132 केवी सब-स्टेशन काफी बड़ा होता है और इसको बनाने में विद्युत मंडल को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। उन्होंने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी तकनीक उन देशों के लिए उचित हो सकती हैं जहां कार्य करने के लिए मैनपावर की बेहद कमी है, भारत जैसे देश में जहां करोड़ों युवा बेरोजगार हों वहां कंपनी प्रबंधन को ऐसे प्रस्ताव को लागू कर बेरोजगार युवाओं के सपनों की हत्या नहीं करनी चाहिए।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि आप कितना भी अत्याधुनिक और एआई तकनीक वाला सब-स्टेशन बना लो बिना मानव के संचालित नहीं क्या जा सकता। अगर ऐसा संभव हैं तो कंपनी प्रबंधन सब-स्टेशन का निर्माण भी बिना मानव के करके दिखाए। सब-स्टेशन के उपकरणों के रखरखाव और मॉनिटरिंग के लिए मानव की आवश्यकता पड़ेगी ही और दिन-रात उपकरणों के सुचारू संचालन और उपकरणों को रिमोट से संचालित करने के लिए भी मानव की आवश्यकता पड़ेगी।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि करोड़ों की लागत से बने सब-स्टेशनों में शिफ्ट के अनुसार तीन-तीन ऑपरेटर, तीन-तीन हेल्पर रखें और यदि ऑपरेटर या हेल्पर को अति आवश्यक या अवकाश या स्वास्थ्य खराब होने पर अवकाश पर जाता है तो उसकी जगह एक ऑपरेटर एक हेल्पर रखा जावे। इससे उस लोगों को रोजगार भी मिलेगा, इस पर कंपनी प्रबंधनों को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्युत तंत्र को बिना मानव के संचालित करने की कल्पना करना भी बेमानी है।
संघ के एसके मौर्य, केएन लोखंडे, एसके शाक्य, एसके सिंह, शशि उपाध्याय, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, राहुल दुबे, संदीप दीपांकर, पवन यादव, संदीप यादव, दशरथ शर्मा, महेश पटेल, विनोद दास, किशोर बरखेड़ी ने ट्रांसमिशन कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि सब-स्टेशनों के लिए नियमित परीक्षण सहायकों की भर्ती कर नियुक्ति की जाए और मानवता विरोधी प्रस्तावों पर रोक लगाई जाए।