प्रदेश सरकार द्वारा संस्कारधानी जबलपुर के साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जबलपुर को मिलने वाली अनेक योजनाओं और सौगातों को पहले ही छीन लिया गया है। वहीं अब जबलपुर स्थित प्रदेश की एकमात्र मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के विखंडन की साजिश रची जा रही है।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि जबलपुर स्थित मेडिकल युनिवर्सिटी को विखंडित कर भोपाल ले लाने के एजेंडे पर प्रबंधन द्वारा कुचक्र रचा जा रहा है। जबलपुर की उपेक्षा का सिलसिला बदस्तूर जारी है। मध्य प्रदेश की एकमात्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी के विखंडित होने से संस्कारधानी का गौरव तो समाप्त होगा ही यूनिवर्सिटी में कार्यरत सैकड़ों कर्मचारियों एवं उनके परिजनों को भी विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा।
वहीं इस पूरे मामले में समस्त राजनैतिक दलों के जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर भी प्रश्न चिन्ह उपस्थित होना स्वाभाविक होगा? दुर्भाग्य है कि जबलपुर स्थित सैकड़ों प्रमुख संस्थानों के मुख्यालयों को रातों-रात राजधानी ले जाया गया और संस्कारधानी के सभी प्रबुद्धजन मूकदर्शक बने रहैं। संघ मेडिकल यूनिवर्सिटी के विखंडन के प्रयासों की घोर निंदा करता है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, नरेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, मुकेश सिंह, दुर्गेश पाण्डे, आशुतोष तिवारी, योगेन्द्र मिश्रा, दीपक राठौर, अनुराग चंद्रा, चंदू जाउलकर, राजेश चतुर्वेदी, तरुण पंचोली, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, मनोज सेन, गणेश उपाध्याय, प्रणव साहू, महेश कोरी, विजय कोष्टी, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, प्रियांशु शुक्ला, संतोष तिवारी, मनीष लोहिया, मनीष शुक्ला, आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर मांग की है कि जबलपुर स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी का विखण्डन रोका जाये अन्यथा कर्मचारी संघ संस्कारधानी के हितों की रक्षा हेतु धरना, आंदोलन हेतु बाध्य होगा, जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व शासन का होगा।