मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में हर माह नियमित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के कारण कार्मिकों की संख्या तेजी से कम हो रही है, जबकि वर्षों से नियमित पदों पर नयी भर्ती नहीं होने से वर्तमान में स्थिति बेहद विकट हो चुकी है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि मैदानी कर्मियों से अधिकारी नियम विरुद्ध कार्य कराने मजबूर हो रहे हैं।
प्रदेश की विद्युत कंपनियों में सबसे ज्यादा बुरी स्थिति वितरण कंपनियों की है, जहां विद्युत लाइनों पर कार्य करने के लिए नियमित कर्मी ही नहीं हैं। वर्तमान में जो नियमित कर्मी हैं, उनमें से अधिकांश उम्रदराज हो चुके हैं, जो विद्युत पोल पर चढ़कर करंट और भारी उपकरणों के रखरखाव का कार्य करने के लिए अशक्त हो चुके हैं। जिसके चलते मैदानी अधिकारी संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से नियम विरुद्ध करंट का कार्य करा रहे हैं।
मप्रविमं तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने विद्युत कंपनियों की उक्त समस्याओं पर ध्यानाकर्षण कराने, नियमित पदों पर भर्ती करने, संविदा कर्मियों को नियमित करने और आउटसोर्स कर्मियों का विद्युत कंपनियों में संविलयन किये जाने हेतु ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को पत्र लिखा था। जिसके बाद ही विगत दिनों ऊर्जा विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर सभी विद्युत कंपनियों को निर्देशित किया है कि आउटसोर्स के माध्यम से विद्युत कंपनियों में कार्य कर रहे कार्मिकों को किसी अन्य व्यक्ति को लाभ देने हेतु नहीं निकाला जाए। इन कार्मिकों की कार्य दक्षता में कमी हो अथवा इनके कार्य की गुणवत्ता में कमी इत्यादि हो तो इन्हें निकाला जा सकता है।
वहीं 17 मार्च 2017 को मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा मौखिक एव व्यवहारिक परीक्षा लेकर उल्लेखित अर्हता एवं अनुभवधारक व्यक्तियों को ओवर हेड वायरमेन का परमिट देने हेतु वितरण कंपनियों को अधिकृत किया गया है। अतः इस अधिसूचना में निहित प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जाए एवं यदि इसमें कुछ कठिनाई है तो विभाग को अवगत कराया जाए।
इसके अलावा विद्युत कंपनियों में सहायक यंत्री एवं मैनेजर (तकनीकी) की कमी को देखते हुए गेट (Gate) के माध्यम से इनकी शीघ्र नियुक्ति की कार्यवाही के प्रयास किये जाये। साथ ही विद्युत वितरण कंपनियों में कनिष्ठ यंत्री, लाइनमैन आदि की कमी को दृष्टिगत रखते हुए इनकी नियुक्ति हेतु शीघ्र कार्यवाही के प्रयास किये जाये।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि ऊर्जा विभाग का सर्कुलर जारी होने के बाद भी विद्युत कंपनियों में नयी भर्ती के लिए किसी भी प्रकार की गतिविधि नज़र नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि अगर विद्युत कंपनियां नयी भर्ती करती भी है तो पूरी प्रक्रिया में कई महीने लग जाएंगे। साथ ही नयी भर्ती के लाइनमैनों को ट्रेनिंग के बाद ही फील्ड पर उतारा जाएगा, जो कि काफी लंबी प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में विद्युत वितरण कंपनियों में स्थिति बहुत ही नाज़ुक स्थिति में पहुंच गई है। नियमित कर्मियों की कमी के चलते संविदा और आउटसोर्स कर्मियों से नियम विरुद्ध करंट का कार्य कराया जा रहा है और ये बात खुद कंपनी प्रबंधन भी स्वीकार कर चुका है।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि नियमित तकनीकी कर्मचारियों की तात्कालिक कमी को पूरा करने का सिर्फ एक ही उपाय है। सभी विद्युत कंपनियों में वर्षों से कार्यरत अनुभवी संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए और आउटसोर्स कर्मियों का विद्युत कंपनियों में संविलियन किया जाए, इससे मैदानी कर्मियों की कमी पूरी हो सकेगी और प्रदेश के उपभोक्ताओं को निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।