Wednesday, July 3, 2024
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जबलपुर की भूमि के लिये धान एवं मक्‍के की उन्‍नत किस्‍में उपयुक्‍त

जबलपुर (लोकराग)। जबलपुर जिले के किसानों के लिए धान एवं मक्के की खेती में उन्नत किस्मों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्नत किस्मे पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल होती है, साथ ही उत्पादन में वृद्धि करती है और इसके साथ ही इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और गुणवत्‍ता भी अधिक होती है।

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए धान और मक्के की अनुशंसित उन्नत किस्मों की जानकारी और उनके लाभों के बारे में उपसंचालक कृषि ने कहा कि किस्मों का चयन हमेशा फसल चक्र, भूमि की दशा, सिंचाई की व्यवस्था, खाद, उर्वरक देने की हमारी क्षमता, फसल पकने की अवधि और क्षेत्र में मौजूद बीमारियों और कीट व्याधियों को ध्यान में रख कर करना चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि मक्का की किस्म जवाहर मक्का-8 (JM-8) में 80 से 85 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसका दाना गोल, चमकीला, अर्ध पारदर्शी, सफेद रंग का होता है। पौधे की उचाई 185 से.मी. होती है। यह एक रोग प्रतिरोधी और सूखा सहिष्णु किस्म है। इसकी औसत उत्पादन क्षमता 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

मक्‍का की किस्‍म जवाहर मक्का-12 (JM-12) में 85 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसका दाना गोल, चमकीला, अर्ध पारदर्शी, सफेद रंग का होता है। पौधे की उचाई 195 से. मी. होती है। यह हल्की से मध्यम मिट्टी वाले कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए अनुशंसित है, अंतर फसल के लिए उपयुक्त है। इसकी औसत उत्पादन क्षमता 45-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

मक्‍का की किस्‍म जवाहर मक्का-218 (JM-218) में संपूर्ण मध्य प्रदेश में खरीफ एवं रबी के लिए उपयुक्त है। इस किस्म का दाना पीला-नारंगी बोल्ड होता है। पौधे की उचाई 210-255 से.मी. होती है, यह 95 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 55-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

मक्‍का की किस्‍म पूसा जवाहर हाइब्रिड मक्का-2 (PJHM-2) में संकर किस्म 90-95 दिनमे पकने वाली, मध्यम लंबाई वाली (195 से.मी.) है। इसके बीज बोल्ड और नारंगी रंग के होता है। इसकी औसत उत्पादन क्षमता 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

इसके साथ ही उन्‍होंने धान की किस्‍मों के बारे में बताया जिसमें धान की किस्म जे.एस. आर.-10 (जेआर 10) में यह किस्म मध्य प्रदेश के पूरे धान उत्पादक क्षेत्रों के लिए अनुशंसित है। इसकी औसत उपज 50-55 क्विंटलप्रति हेक्टेयर, परिपक्वता 120 दिन है। किसान इस किस्म की कटाई के बाद मसूर/चना की फसल ले सकते हैं। यह किस्म ब्लास्ट और ब्लाइट सहित अधिकांश बीमारियों के प्रति मध्यम रूप से सहनशील है।

धान की किस्‍म जेएसआरएसएच-5 (जेआरएच-5) में जल्दी पकने वाली, वर्षा आधारित स्थिति (धान-धना या धान-तिलहन) के तहत दोहरी फसल के लिए उपयुक्त, सूखा प्रतिरोधी, दाना लंबा पतला, मध्य प्रदेश के धान परती क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त है। यह 100 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 70-75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 

धान की किस्‍म पूसा बासमती-1509 (PB-1509) में यह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली में विकसित कम अवधि वाली बासमती धान की किस्म है, जिसकी परिपक्वता केवल 120 दिनों में होती है और औसत उपज 25 क्विंटल/हेक्टेयर होती है। इसकी विशेषता अतिरिक्त लंबे पलले दाने और सुखद सुगंधवाली है।

धान की किस्‍म एमटीयू 1010 (Μ.Τ.U-1010) में एक विशिष्ट, अधिक उपज देने वाली, कम अवधि वाली, लंबे पतले दाने वाली व्यापक रूप से खेती की जाने वाली मेगा किस्म है। यह पत्ती ब्लास्ट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, शौथ ब्लाइट, ब्राउन प्लैन्थोपर, व्हाइट-बैक्ड ब्राउन प्लैन्थोपर और लीफ फोल्डर के प्रति सहनशील है। यह 120-125 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 65-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

मध्यप्रदेश के किसानों के लिए धान और मक्के की ये उन्नत किस्मे उत्पादन में वृद्धि और गुणवत्ता सुधार के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं। डॉ. सनी ठाकुर के अनुसार यह जानकारी किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी और उनकी कृषि आय में वृद्धि करेगी। सही समय पर बुवाई, उर्वरक और जल प्रबंधन के साथ ये किस्में किसानों को बेहतर परिणाम दिलाने में सक्षम हैं।

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