Sunday, September 8, 2024
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राजस्थान: विलुप्त होने की कगार पर राज्य पक्षी को लेकर सुखद खबर, पहली बार दिखाई दिए 64 गोडावण

जैसलमेर (हि.स.)। विलुप्त होने की कगार पर पहुंचने वाले राज्य पक्षी गोडावण (Great Indian Bustard) को लेकर अब सुखद खबरें आनी शुरू हो गई है। ब्रीडिंग सेंटर में गोडावण का कुनबा बढ़ने के साथ ही अब फील्ड में भी गोडावण की अच्छी संख्या में आने की संभावनाएं तेज हो गई है। गौरतलब है कि बैशाख पूर्णिमा पर वन विभाग द्वारा वाटर हॉल पद्धति से वन्यजीवों की गणना की गई।

इतिहास में पहली बार वाटर हॉल पद्धति की गणना में 64 गोडावण की संख्या दिखाई दी है। जिससे वन्यजीव प्रेमियों में खासा उत्साह है। गौरतलब है कि 23 मई की सुबह 8 बजे से 24 मई की सुबह 8 बजे तक डीएनपी एरिया में वन्यजीवों की गणना की गई। जिसमें रामदेवरा क्षेत्र में 21 व जैसलमेर के सुदासरी, गजई माता, जामड़ा, चौहानी, सिपला व बरना क्षेत्र में 43 गोडावण नजर आए है। गोडावण के साथ ही अलग-अलग वन्यजीव भी दिखाई दिए है।

इस बार वन विभाग द्वारा डीएनपी क्षेत्र में 42 वाटर पोइंट बनाएं गए थे। जिस पर मचान बनाकर 84 वनकर्मी बैठे थे। वन कर्मियों ने इस भीषण गर्मी में पूरे 24 घंटे मचान में बैठकर वन्यजीवों की गणना की। गोडावण का यह आंकड़ा रामदेवरा, व जैसलमेर में ही दिखाई दिया है। इसके अलावा करीब इतनी ही संख्या फील्ड फायरिंग रेंज में है। लेकिन सुरक्षा के कारणों से फील्ड फायरिंग रेंज में गोडावण की गणना नहीं की जाती है। इससे पहले 2022 में वाटर हॉल पद्धति से गणना की गई थी।

जिसमें 42 गोडावण नजर आए थे। इसके साथ ही 2022 में करीब 34 प्रकार के वन्यजीवों की गणना की गई थी। जिसमें करीब 8 हजार वन्यजीव दिखाई दिए थे। 2023 में पश्चिमी विक्षोभ से बरसाते होने के कारण गणना नहीं हो पाई थी। हालांकि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून गोडावण की गणना करता है।

लेकिन 2017 के बाद से गोडावण की गणना नहीं की गई है। हालांकि गोडावण की संख्या को वन विभाग द्वारा पुष्ट तो नहीं मानता। लेकिन इस गणना से गोडावण की संख्या का पता चल जाता है। ऐसे में जैसलमेर में कितने गोडावण विचरण करते है।

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