हम वृद्धिशील अर्थव्यवस्था की विद्युत जरूरतों पर कोई समझौता नहीं करेंगे, लेकिन हम इसे जिम्मेदारी से पूरा करेंगे: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय विद्युत और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला-2023 में भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय की ओर से स्थापित विद्युत मंडप का उद्घाटन किया। इस मंडप का उद्देश्य घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उद्योग के सामने विद्युत क्षेत्र की प्रमुख पहलों को प्रदर्शित करना है। इसके साथ ही सरकार की योजनाओं और नीतियों में जन जागरूकता व भागीदारी में सुधार करना भी है।

इस मंडप में विभिन्न नीतिगत पहलों और विषयों रेखांकित किया गया है। इनमें राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, कार्बन कैप्चर तकनीक, एक सूर्य-एक विश्व-एक ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से सार्वभौमिक विद्युत पहुंच, विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, स्मार्ट एनर्जी (स्मार्ट ग्रिड, स्मार्ट मीटर), ग्रिड स्थिरता के लिए पंपयुक्त हाइड्रो भंडारण, विद्युत रूपांतरण, चार्जिंग अवसंरचना और ई-मोबिलिटी शामिल हैं। इस मंडप में कामकाजी मॉडल, संवादात्मक पैनल, खेल क्षेत्र का निर्माण किया गया है और आगंतुकों को जीवंत व आकर्षक तरीके से विद्युत क्षेत्र के बारे में जानकारी देने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया गया है।

केंद्रीय विद्युत मंत्री ने मंडप का उद्घाटन करने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि विकसित देशों को सबसे पहले अपने उत्सर्जन में कटौती करने की जरूरत है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “वायुमंडल में लगभग 85 कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन विकसित देशों द्वारा अपनाए गए औद्योगीकरण के कारण है। भारत की जनसंख्या विश्व की आबादी 17 फीसदी है, लेकिन कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन में हमारा योगदान केवल 3.5 फीसदी है। अब भी हमारा प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वैश्विक औसत का एक तिहाई है, जबकि विकसित देशों का उत्सर्जन वैश्विक औसत का तीन गुना है। विकसित देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया लेकिन, वे हमसे ये कहना चाहते हैं कि हमें कोयले का उपयोग नहीं करना चाहिए। विकसित देशों को सबसे पहले अपने उत्सर्जन में कटौती करने की जरूरत है।”

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अपनी वृद्धिशील अर्थव्यवस्था के लिए विद्युत की जरूरतों पर कोई समझौता नहीं करेगा। आरके सिंह ने कहा, “हमें विकास करने की जरूरत है। साथ ही, हम इसे जिम्मेदारी से निभाएंगे। हम साल 2030 तक गैर-जीवाश्म-ईंधन स्रोतों से 40 फीसदी स्थापित विद्युत क्षमता के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य को प्राप्त करने में नौ साल आगे हैं। हमने 2015 में सीओपी-21 में संकल्प लिया था कि हम 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की अपनी गति को 33 फीसदी तक कम कर देंगे और हमने 2019 में ही ऐसा कर दिखाया। इसे देखते हुए ग्लासगो में हमने कहा कि 2030 तक हमारी क्षमता का 50 फीसदी हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से आएगा और हम कार्बन उत्सर्जन की गति को 45 फीसदी तक कम कर देंगे। हम इसे जरूर प्राप्त करेंगे। इसके लिए हमारा ध्यान लक्ष्य पर है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आईआईटीएफ में विद्युत मंडप बिजली क्षेत्र में सरकार की पहलों और रूपांतरण को प्रदर्शित करता है। उन्होंने आगे कहा, “हमने पिछले नौ वर्षों के दौरान लगभग 1.9 लाख मेगावाट विद्युत क्षमता जोड़कर इस क्षेत्र को रूपांतरित किया है। पूरा देश एक राष्ट्रीय ग्रिड के तहत जुड़ गया है। 2.1 लाख करोड़ रुपये के निवेश से वितरण प्रणाली को सुदृढ़ किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत की उपलब्धता अब 21 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 23.5 घंटे है। हमने हर घर में बिजली पहुंचा दी है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूरे विश्व में भारत सबसे तेज गति से अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है। इस अवसर पर विद्युत सचिव पंकज अग्रवाल और मंत्रालय व इसके अधीन आने वाले विभिन्न संगठनों के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।