सर्दियों में खाएं बलकारक और पुष्टिदायी राजमा

भारतीय रसोई में उपलब्ध राजमा प्रोटीन्स व खनिजों से भरपूर स्वादिष्ट, अत्यंत बलकारक तथा पुष्टिदायी दलहन है। यह रुक्ष, वातकारक व पचने में भारी होता हैं। इस मे कैल्शियम, मैंगनीज, फोस्फोरस, लौह, कैरोटिन, थायमिन, राइबोफ्लाविन, नायसिन, विटामिन k, B, C आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं।

राजमा खाने के लाभ

  • राजमा शरीर की रक्त-शर्करा को संतुलित बनाये रखता है, अतः मधुमेह में लाभदायी है।
  • राजमा चरबी को बढ़ने नहीं देता, इससे ये मोटापे में भी लाभदायी है।
  • राजमा हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • राजमा आँखों, बाल व मांसपेशियों के लिए हितकारी है।
  • राजमा का सेवन स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध की पौष्टिकता को बढ़ाता है।
  • इसका सेवन करने वाली गर्भवती महिलाओं में फॉलिक एसिड की कमी नहीं होती, जिससे गर्भस्थ शिशु का विकास ठीक से होता है।
  • यह कोलेस्ट्रॉल व उच्च रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद करता है।

ध्यान रखें कि लोग राजमा को स्वादिष्ठ बनाने के लिए इसमें अधिक मात्रा में तेल, मसाला, प्याज आदि ग्रेवी बना डालते है। इससे राजमा के गुणों में कमी आ जाती है और स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है। पूरा लाभ लेने के लिए रात्रि में राजमा को गरम पानी में भिगो दें। सुबह नरम होने तक उबालें और अदरक, हींग, हल्दी, मिर्च, धनिया आदि डाल कर रसेदार सब्जी बनायें ताकि पचने में सुलभ हो।

सावधानी

  • राजमा अधिक मात्रा से सेवन करने से गैस, पेटदर्द, कब्ज, उल्टी तथा मांसपेशियों से सम्बंधित समस्याएँ हो सकती हैं।
  • यह पचने में भारी होता है, अतः इसका सेवन लगातार न करें। इसे सुबह के भोजन में खायें, रात के भोजन में नहीं खायें।
  • जिनकी जठराग्नि मंद है वे लोग तथा किसी भी बीमारी में विशेषतः जोड़ों के दर्द तथा वातरक्त व्याधि में एवं वर्षा ऋतु में इसका सेवन न करें।