औषधीय गुणों से भरपूर है तिल का तेल

भारतीय रसोई में ठंड के दिनों में तिल का प्रयोग कर तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं, जो काफी पौष्टिक होते हैं। तिल का सेवन करने से ठंड से लड़ने की ऊर्जा मिलती है। वहीं तिल का तेल भी काफी लाभकारी है और इसका नियमित प्रयोग कई बीमारियों से बचाता है।

  • तिल तेल को 8-10 मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दांत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है।
  • 50 ग्राम तिल के तेल में 1 चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है।
  • 20-25 लहसुन की कलियाँ 250 ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें। इस तेल की बूंदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है।
  • प्रतिदिन सिर में काले तिल के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते।
  • 50 मिली तिल के तेल में 50 मिली अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाये। इस तेल से मालिश करने से वायुजनित जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
  • तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दांतों के हिलने में लाभ होता है।
  • घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं।