अखंड सौभाग्य देने वाला है इस बार का करवा चौथ व्रत, पांच वर्ष बाद बन रहा है शुभ योग

सुहागिन महिलाओं द्वारा पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाने वाला करवा चौथ का व्रत इस वर्ष रविवार 24 अक्टूबर 2021 को विधिपूर्वक मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखकर चांद को अर्घ्य प्रदान करती हैं।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार करवा चौथ इस बार कई अच्छे संयोग में आ रहा है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को पड़ रही है। खास बात यह है कि पांच साल बाद फिर इस करवा चौथ पर शुभ योग बन रहा है। करवा चौथ पर इस बार रोहिणी नक्षत्र में पूजन होगा तो वहीं रविवार का दिन होने की वजह से भी व्रती महिलाओं को सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

खास तौर पर सुहागिनों के लिए यह करवा चौथ अखंड सौभाग्य देने वाला होगा। साथ ही 24 अक्टूबर को रात 11:35 बजे तक वरियान योग रहेगा। वरियान योग मंगलदायक कार्यों में सफलता प्रदान करता है। इसके साथ ही देर रात 1:02 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चतुर्थी तिथ‍ि रविवार 24 अक्‍टूबर को सुबह 3:01 बजे शुरू होगी और सोमवार 25 अक्‍टूबर को सुबह 5:43 बजे समाप्‍त होगी।करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रविवार 24 अक्‍टूबर को शाम 6:55 से 8:51 बजे तक है। वहीं चंद्रोदय रात 8:11 पर होगा, हालांकि चंद्रोदय का समय भारत के अलग-अलग हिस्सों में भिन्न-भिन्न हो सकता है। चतुर्थी तिथि में चन्द्रोदय व्यापिनी मुहूर्त 24 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है, इसलिए करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा।

शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश की अर्चना की जाती है। करवा चौथ में भी संकष्टी गणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है।

करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। इस व्रत में सरगी का विशेष महत्व होता है। सरगी में मिठाई, फल और मेवे होते हैं, जो उनकी सास उन्‍हें देती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं। अधिकांश परिवारों में पति के हाथों से पानी पीकर पत्नी उपवास खोलती है।

इस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें। पूजन करने के लिए बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त वर्णित सभी देवों को स्थापित करें। शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक नैवेद्य हेतु बनाएँ। काली मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार किए गए मिट्टी के करवे अथवा तांबे के बने हुए करवे। 10 अथवा 13 करवे अपनी सामर्थ्य अनुसार रखें।

पूजन के दौरान बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर धागा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। पश्चात यथाशक्ति देवों का पूजन करें। वर्तमान समय में करवा चौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं, लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।