विजयादशमी के शुभ अवसर पर श्री राधा गोविंद धाम फरीदाबाद में मनाया गया प्राण प्रतिष्ठा उत्सव

बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक विजयादशमी 2021 के शुभ अवसर पर, इस्कॉन सेक्टर 37 ने श्रद्धा और गर्व के साथ बहुप्रतीक्षित नए मंदिर के उद्घाटन का उत्सव अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस्कॉन के संस्थापकाचार्य श्रील ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की दिव्य कृपादृष्टि के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कृष्णभावनामृत के आध्यात्मिक ज्ञान को पूरे समाज में फैलाने के लिए किया गया है।

उनके शब्दों में, “मंदिर का अर्थ है वह स्थान जहाँ लोगों को आना चाहिए, लोगों को भगवान का विज्ञान सीखना चाहिए। मंदिर एक व्यवसाय नहीं होना चाहिए। मंदिर का अर्थ है आध्यात्मिक शैक्षिक आश्रय है। लोगों को मंदिर आना चाहिए और सीखना चाहिए कि आध्यात्मिक जीवन क्या है, भगवान क्या है, भगवान के साथ मेरा क्या संबंध है।”

यह शुभ दिन माधावचार्य जी के आविर्भाव दिवस के रूप में भी जाना जाता है, जो भगवान ब्रह्मा से आने वाले संप्रदाय में मुख्य आचार्य हैं। माधवाचार्य की शिक्षा का एक मुख्य पहलू यह था कि ईश्वर और जीव एक दूसरे से भिन्न हैं, क्योंकि एक ईश्वर है और दूसरा उनका सेवक है।

इस भव्य अवसर पर पूरे भारत से कई भक्त और वरिष्ठ वैष्णव आए। दुनिया भर के कई मंदिरों के कार्यों और प्रशासन की देखरेख कर रहे, वर्तमान में इस्कॉन के शासी निकाय आयोग, भक्ति वेदांत बुक ट्रस्ट, इस्कॉन इंडिया ब्यूरो के अध्यक्ष और आध्यात्मिक गुरु परमपूज्य गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज, इस अवसर पर उपस्थित रहे। इस मंदिर का निर्माण उनके आशीर्वाद से ही किया गया है। उनके साथ परमपूज्य भानु स्वामी महाराज भी उपस्थित थे, जो इस्कॉन के शासी निकाय आयोग में हैं।

मंदिर के अध्यक्ष गोपीश्वर दास ने कहा, मंदिर का विषय भगवान के पवित्र नाम के माध्यम से लोगों को ईश्वरीय चेतना देना है। कलियुग में शुद्धिकरण और भगवान को प्राप्त करने का एकमात्र तरीका उनका नाम लेना है। हरे कृष्ण हरे  कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। यहां आने वाले लोगों को भगवान के सुंदर दर्शन मिलेंगे, और उनके हृदय पवित्र हो जाएंगे। वे बेहतर इंसान और समाज के लिए बहूमूल्य संसाधन बन जाएंगे।

उन्होंने कहा कि हमने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया क्योंकि अब अधिक से अधिक लोगों ने मंदिर आना शुरू कर दिया है, लेकिन पुराने भवन में  स्थान सीमित था और वह काफी पुराना था। यह वर्ष भी बहुत खास है, क्योंकि यह ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125 वीं वर्षगांठ का वर्ष है।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण शुद्धि और शुभता के लिए यज्ञ, दूध, शहद, घी, रस, फूल और अन्य शुद्ध वस्तुओं से महा अभिषेक था। श्री श्री राधा गोविंदजी, श्री श्री सीता राम लक्ष्मण हनुमान की नव स्थापित प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन वरिष्ठ वैष्णवों द्वारा श्रृंगार और संबोधन के बाद किया गया।

परमात्मा श्री कृष्ण का आशीर्वाद लेने के लिए केंद्रीय कैबिनेट मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर भी समारोह में उपस्थित रहे। भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद हम सभी को कृष्णभावनामृत का मार्ग प्रदान करे, इसी कामना के साथ सभी उपस्थितों को प्रसाद वितरण किया गया।