साहित्य ऐ मेरे हमसफ़र- रकमिश सुल्तानपुरी April 8, 2020 TwitterWhatsAppFacebookKooCopy URL ऐ मेरे हमसफ़र आपको क्या ख़बर आप थे जिंदगी आप हैं रहगुज़र याद आता मुझे वो सुहाना सफ़र कैसे जाएं भला आपको छोड़कर अब निभाएंगे ख़ूब यारगी उम्र भर हम करें आपकी आप मेरी फ़िकर टूटते दिल यहाँ आज़माओ अगर यार रकमिश सुनो ज़िन्दगी मुख़्तसर -रकमिश सुल्तानपुरी