मुश्किलों के दौर में- आरबी सोहल

आज चेहरों पे खुशी के गुल खिलाता कौन है
मुश्किलों के दौर में अब मुस्कुराता कौन है

देखते हैं वे अंधेरा हर तरफ़ फैला हुआ
हौसले के साथ पर दीपक जलाता कौन है

आदमी टुकड़ों में करता है बसर यह ज़िंदगी
लाज़मी तरतीब में इसको लगाता कौन है

औरतों के हक़ की बातें संसदों में हो रही
बाहर हक़ उनके ज़माने में बचाता कौन है

मैं तो चाहूं हर ज़ुल्म की अब ख़त्म कर दूं नस्ल
देखते हैं इस जतन में साथ आता कौन है

मुजरिमों ते मुलजिमों में वे फ़र्क करते नहीं
यूं कानूनी रहबरों को रहा दिखाता कौन है

जिस क़दर वे मांगते हर पल वफ़ाओं की दुआ
इस क़दर तहज़ीब से उल्फ़त निभाता कौन है

-आरबी सोहल