अपने कौन होते है- आशुतोष

अपने कौन होते है
अपने शायद वे होते होते है जो
हर लम्हा हमारे साथ होते है
दिल के यूं पास होते है
हर साँस में वो खास होते है
और जिनके हम आस होते है

हाँ, अपने वें होते है जो
हमारी हर ख्वाइशों को मुकम्मल करते है
जो खुद भूखे रह के भी
हमारी भूखों की तृप्ति करते है
और हमारी प्रयोजनों के खातिर
दिन-रात को भी एक करते है

अपने तो वें भी होते है जो
हमें हम ही से मिलवाते है
ओजस्वी और गुणवान बनाते है
और खुद ही ज्योतिमय होकर
अज्ञानतारुपी अंधकार के भवंर से
प्रकाश के दिव्यज्योती से रुबरु कराते है

हो ना हो अपने वें होते है
जो खुद मर कर भी
दिन-रात हमारी सुरक्षा करते है
और बाढ़ हो या भूकम्प या फिर महामारी
अपनी बिना कोई फिक्र किये बिना
रहती है केवल जिसे परवाह हमारी

अपने तो वें भी कहलाते है जो
बैठे रहते है जो दिन रात हमारी सेवा में
हर शारिरीक समस्या के निजात में
महामारी या कोई दुर्घटना के समाधान में
जीवनदान या नये जीवन के आन में
वो यूं ही नहीं पाए ईश्वरीय ख्याति

क्या अपने वे नहीं है जो
जो उठाई है बेड़ा स्वच्छता की
हमारी वातावरण के स्वास्थ्य की
निरोग्य भारत के वरदान की
महामरीयों में जनकल्याण की
और समस्त विश्व के अभिमान की

शायद मेरी मत ही मारी गई थी जो
ढूंढता था अपनो को यूं इस जग में
जबकी था ही घिरा मैं इन अपनों से
अब खुली है आंखे मेरी इन अपनो के आगे
अपनो ने क्या खुब है दिखाया अपनेपन को
क्या बनती नहीं एक हमारी कर्तव्य
अपनेपन की प्यार अपनाने की
और ही अपने को अपनापन दिखाने की

-आशुतोष
इलाहाबाद विश्वविद्यालय