आईना देखकर- डॉ उमेश कुमार राठी

इस कदर मुस्करा आईना देखकर
आईना खिल उठे आशना देखकर

ख्याल आया मुझे ए मिरी जिंदगी
देख मत मुस्करा-मुस्करा देखकर

नूर की बूँद में भी चहकती फिज़ा
आब-ए-आयना आसमाँ देखकर

हर कदम मिल रही इस जहां में ख़ुशी
चाक पर रक़्स है आशिमा देखकर

आब ए तल्ख़ क्यों हो मिरे हाल पर
क्यों परेशां हुये आरिजा देखकर

आरजू के मुताबिक बसा आशियाँ
मीत होती ख़ुशी आस्तां देखकर

-डॉ उमेश कुमार राठी