आगाज़- संजू वर्मा

(ब्रह्मलोक में ब्रह्मा जी ध्यान मग्न बैठे हैं ।तभी एक दूत का प्रवेश होता है ।)
दूत- ‘महाराज मादा जीवात्माओं ने स्ट्राइक कर दिया है।’
ब्रह्मा- ‘क्या बकते हो?’
दूत- ‘सही कह रहा हूं महाराज मादा जीवात्मायें धरती पर जन्म लेने से इंकार कर रही हैं।’
ब्रह्मा- ‘शीघ्र सभा में उपस्थित किया जाए उन्हें।’
सभी मादा जीवात्माएं ब्रह्म लोक में उपस्थित होती हैं। एक जीवात्मा आगे बढ़कर ब्रह्मा जी का अभिवादन करती है।
ब्रह्मा- ‘यह क्या सुन रहा हूँ मैं? आप सभी धरती पर जन्म लेना क्यों नहीं चाहती? इस तरह का विरोध क्या उचित है? नर जीवों ने तो ऐसा विरोध कभी नहीं किया?’
जीवात्मा- ‘क्षमा चाहती हूँ प्रभु! जिस धरती पर हम सुरक्षित नहीं हैं, अबला बनकर रहती हैं, हवस का शिकार बनाई जाती हैं, वहां जाने से हम इंकार करती हैं। उस धरती पर हमें नहीं जाना, जहां हमारी अस्मिता को लूट कर जिंदा जलाया जाता है।’
ब्रह्मा- ‘विषय तो चिंतनीय है। चलिए आप सभी को पुरुषों के समान सबल बना दिया जाएगा।’
जीवात्मा- ‘इससे समस्या का समाधान नहीं होगा प्रभु!’
ब्रह्मा- क्यों?
जीवात्मा- ‘स्त्रियां अपने आप को तो बचा लेंगी, पर उस सोच का क्या जो बलात्कार से बचने के बाद भी स्त्रियों के मन को छलनी कर जाती है ।लोग तो स्त्रियों को ही दोष देंगे ।कभी उसके वस्त्र तो कभी उसके अंग।’
ब्रह्मा -“फिर क्या उपाय है इस समस्या का ?यदि आप सभी धरती पर नहीं जाएंगी तो सृष्टि का विकास कैसे होगा, सृष्टि चलेगी कैसे? अब आप ही इसका उपाय बताइए ।”
जीवात्मा- ‘इसका एक ही उपाय है प्रभु !पुरषों के दिमाग में एक ऐसा कल फिट किया जाए, उनमें किसी लड़की के प्रति आकर्षित होने की क्षमता ही ना हो। सिर्फ अपनी पत्नी के प्रति ही काम भावना की उत्पत्ति हो।’
ब्रह्मलोक में यह प्रस्ताव विचाराधीन है।

-संजू वर्मा
जमशेदपुर, टाटानगर
जन्म- 16 मई
शिक्षा- एमए हिंदी, बीएड
विविध पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित