आदमी- देव दर्शन सिंह

गुस्से को प्यार से जो जीत ले वो आदमी।
हर घड़ी हर जगह कुछ सीख ले वो आदमी।।

धन जरूरी है बहुत पर प्रेम के संसार में,
जब मिले तो स्नेह से बस भींच ले वो आदमी।

दुःख पड़े तो चीखना लाज़मी है क्या करे,
सुख में थोड़ा संग सबके चीख ले वो आदमी।

दूसरों की गल्तियों पर दाँत अक्सर पीसता,
ख़ुद की गल्तियों पर भी पीस ले वो आदमी।

देखता हूँ दूसरों को धक्के देना आ गया,
लोगों को मुसीबतों से खींच ले वो आदमी।

ग़म- ख़ुशी नसीब हैं जब तलक इंसान हैं,
‘दर्शन’उनको आँसुओं से सींच ले वो आदमी।

-कवि देव दर्शन सिंह

जबलपुर, मध्यप्रदेश
संपर्क-8770561372