इश्क़- मनोज कुमार

है इश्क़ कि वो कुछ कह न सका
बिन बोले ही इश्क़ कह सब गया
वो नजरें उठाकर देख न पाए पल भर
बिना नजरों से वो सब कह गया

कौन कहता है इश्क़ है कि छू लूँ
बिना छुए ही बांहो में भर गया
बचपन था लड़कपन का प्यार कहूं
लगा ऐसा की जीवन ले गया

ता-उम्र रह गया सीने में आह बन कर
इश्क़ उसका सारे सपने भर ले गया
है इश्क़ की वो कुछ कह न सका
बिन बोले ही इश्क़ कह सब गया

-मनोज कुमार