काल के पास कल नहीं होता- जसवीर त्यागी

बहुत सारे काम
जिन्हें आज ही निपटाया जा सकता हैं

फिर भी बड़ी सहजता से
कल के कंधों पर
लटका देते हैं हम

कल देखेंगे

कल का कलरव
कानों में बजता हुआ
हमारी मानसिकता के बिस्तर पर
आराम फ़रमाता है

हम सोते हुए गहरी नींद में
सुनहरे स्वप्न देखते हैं

आज को कल हाथों में
कितने विश्वास से सौंप देते हैं हम

मानो पहले से ही
कल से कोई करारनामा है हमारा

काल कहीं दूर खड़ा ओट में
देखता है सब कारगुजारियां

और मन ही मन मुस्कुराता है
यह सोचकर

कि काल के शब्दकोश में
कल नाम का
कोई शब्द नहीं आता

-जसवीर त्यागी