कोरोना- अमरेन्द्र

कोरोना पड़ सकता है तुमको रोना,
यह भारतवर्ष की भूमि है,
यहां अनगिनत वीर भरे,
भारतवर्ष की ओर न देखो,
पकड़ लो जल्दी कोई दूसरा कोना,
कोरोना पड़ सकता है, तुमको रोना
मलते रहोगे हाथ सदा,
नहीं मिलेगा कहीं तुम्हे यहां बसेरा,
याद रखो हुआ है लॉकडाउन यहां अभी
यदि आए तुम द्वारे,
तो मिलेगा केवल तुम्हे ठेंगा,
याद रखना कोरोना पड़ सकता है, तुमको रोना
हम सजग होशियार ठहरे,
तुमको ना मिलेगा यहां छोटा सा भी मौका,
मलते रहोगे हाथ सदा ,
देखोगे तुम घूम घूम भवरे बन ,
पर मिलेगा ना तुमको कोई यहां परिंदा,
कोरोना लेना नहीं तुम हमसे कभी पंगा,
नहीं तो कर देंगे तुमको हम नंगा
कहलाते हो नॉवेल कोरोना और बहुत इतराते हो,
पर भारत में एक से बढ़कर एक व्यंगकार है भरे पड़े,
सुन ना सकोगे उनकी तुम ,
काफ़ी कड़ी आलोचना,
भागोगे तुम पकड़ लंगोटी ,
क्योंकि मिलेगा ना तुमको यहां कोई बसेरा ।
प्यार मोहब्बत घुली है यहां कि सारी फिज़ाओं में,
घुट जाएगा दम तुम्हारा यहां की पवित्र फिज़ाओं में,
सावधान ना रुकना इस देश कोरोना,
नहीं चलेगा यहां तुम्हारा कोई बहाना

-अमरेन्द्र