कौन मिलता है यहाँ- शुचि भवि

ये सफ़र ज़ीस्त का आसान बनाने वाला
कौन मिलता है यहाँ रिश्ते निभाने वाला

है सदाकत की डगर का वो अगर राही तो
हो नहीं सकता कोई उसको सताने वाला

है ये दुनिया-ए-अना सच में बहुत चमकीली
चश्मा नरमी का लगाना तू लगाने वाला

मुश्किलों से जो बने हैं उन्हें मालूम कहाँ
भाग्य भी होता है जीवन को सजाने वाला

जाने किस फ़िक्र में रहती है सदा गुमसुम सी
कोई मिलता कभी ‘भवि’ को भी हँसाने वाला

-शुचि ‘भवि’
भिलाई, छत्तीसगढ़