जिदंगी के कोने- ममता रथ

काश जिदंगी के चार कोने होते
तो चारों को पकड़कर
मैं एक गठरी बना लेती, पर
ज़िन्दगी के तो असंख्य कोने हैं
कोई ना कोई हाथ से छूट जाता है
या छोड़ना पडता है, किसी कोने को
ताकि मिल सके, मुट्ठी भर सुख

-ममता रथ