जीत में तो सारी दुनिया साथ देती है, पर हार पर क्यों नहीं?

हमेशा ऐसे लोगों को तलाशिए जो आपको गिरने पर उठाना जानते हों, जो जीत में तो आपका साथ देते ही हों, पर आपकी हार में भी आपको गिरने ना देते हों, हमेशा आपको उत्साहित करते हों, क्योंकि ये मेरा बर्षों का अनुभव रहा है कि विजेता का साथ तो सारी दुनिया, दोस्त, रिश्तेदार, और आपके कार्य क्षेत्र के सभी साथी देते हैं पर जिदंगी में ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं जो आपकी पराजय पर आपका साथ दे, आपके कठिन और मुश्किल दौर में आपका साथ निभायें, आपको हौसलों से परिपूर्ण करके फिर से खडा़ करते हों, एक ऐसे साथी की हमेशा आवश्यकता महसूस होती है जो आपके हारने के बाद आपको कस कर गले लगाए और कहे कि मैं हूँ ना।
सच मानिए यारो आपका ऐसा दोस्त और रिश्तेदार ही सच्चा साथी है, जो आपकी पराजय में भी आपके अंदर के गम, डर, और दर्द को महसूस करता है और आपको हौसला देकर आपकी तकलीफ को दूर करना चाहता है, ऐसे लोगों को अपने दिल के कोने में एक खास मुकाम दीजिए। ये हौसले भरे तीन शब्द आपके मन के अंदर हौसलों का संचार पैदा करने के लिए एक चमत्कार करेंगे। मैं हूँ ना शब्द आपके अंदर रक्त में एक जोश और हौसलों का संचार भर देगा, और गले लगाकर हौसला देने वाले लोग रेअर होते हैं दिल में बसा के रखिए ऐसे लोगों को।
असफलता के समय आंसू पोछने वाली एक ऊँगली उन दस उँगलियों से अधिक महत्वपूर्ण है, जो सफलता के समय एक साथ ताली बजाती है। किसी के हंसने की वजह बनो, रोने की नहीं
कभी कभी हज़ार तसल्लियों, लाख दिलासों से बढ़ कर सिर्फ 3 लफ्ज़ हौसला देते हैं, जब कोई अपना समझ कर कहता है कि मैं हूँ ना फ्रिक किस बात की।

-सुनील माहेश्वरी
मोटीवेशनल लेखक