दिल के किसी कोने में- शिवम मिश्रा

दिल के किसी कोने में तुम्हारी यादें
आज भी अनायास ही बसी हुई है
उसे फ़िक्र है आज भी तुम्हारी उतनी
जितनी होती थी तब जब होते थे हम साथ
जैसे फूलों का खिलना, सूरज का डूबना है
वैसे ही तुम्हारी यादों का पिटारा मेरे पास हैं
तुम्हारे आँखों की मदहोशी आज भी उन्मुक्त कर देती है
क्या कमाल था वो पल जब हाथों में हाथ था
आज बस दिल के किसी कोने में वहीं यादें है
अब तो सहारा और उम्मीद बस तुम्हारी यादें हैं
जिन्हें कोई चाह कर मुझसे कभी नहीं छीन सकता
नियति की क्रूर समय ने हमें दूर तो किया
मगर तुम्हारे यादों से हमेशा के लिए जोड़ गया

-शिवम मिश्रा
मुंबई, महाराष्ट्र