नदी की चेतावनी- चन्द्र प्रभा सूद

आ बैठी हूँ मैं इस दरिया के किनारे
सोचती हूँ इसके पानी को लकीर से
दो हिस्सों में बाँट इसे दूँ सदा के लिए
लो देखो जरा यह क्या हो रह है यहाँ

मिट गई वो लकीर जो मैंने खींची थी
बारबार कोशिश करती जा रही हूँ मैं
पर यह लकीर है कि खिंचती नहीं है
पानी के साथ अठखेलियाँ करती हुई

यह भागती जा रही है दूर दूर और दूर
मेरी नजरों से ओझल होती जा रही है
मानों मुँह चिढ़ाती कह रही हो ये मुझे
और कह रही हो अरी नादान मत बन

ऐसी मूर्खता तकरती बैठी है छलावे में
बहते पानी को क्या कभी सपने में भी
इस जहाँ में अब तक कोई रोक पाया है
तू भी करले सबकी तरह जतन बारबार

सोच ले फिर हर बार मुँह की ही खाएगी
कब कोई ढूँढ कर आ पाया है आजतक
रमते योगी और बहते पानी का ठिकाना
फिर मुझे चेताते हुए अब बोली थी नदी

मेरे पानी को है इंसान समझ लिया तुमने
जिसे बाँटोगे तुम बारबार जब तक यहाँ
कभी धर्म के नाम तो कभी जाती नाम से
कभी अमीर और गरीब की तकदीर से

कभी नस्लभेद और कभी रंग के भेद से
कभी लिंग या कभी भाषा के ही नाम पर
नित नए बखेड़े खड़े करना तुम्हें भाता है
न तो मैं इंसान हूँ और न ही मेरा ये पानी

तुम इंसानों की दुनिया से नहीं है वास्ता
मैं अनवरत गाती हुई मस्त रहती हूँ सदा
अपनी धुन में निरंतर बहती हुई दिन-रात
अपने लक्ष्य समुद्र तक जाती हूँ चाव से

वह भी बाहें पसारे ताकता मेरी राह है
तुम इंसान हो भटकते रहो लक्ष्यहीन
यहाँ से वहाँ और फिर वहाँ से यहाँ तक
मुझे और मेरे पानी को दूषित करते हो

मैं फिर भी सबको माफ करती अनकहे
भाई अब न तुम झंझाल बनो मेरे लिए
बस बहुत हो गया चले जाओ यहाँ से
रोको न मेरा रास्ता जाने दो मुझे अब

-चन्द्र प्रभा सूद

परिचय-
नाम: चन्द्र प्रभा सूद
जन्म: 3 जुलाई 1950, दिल्ली में
शिक्षा: एमए(संस्कृत) बीएड।
व्यवसाय: दिल्ली के प्रतिष्ठित दिल्ली पब्लिक स्कूल में 27 वर्षों तक संस्कृत व हिन्दी भाषा में अध्यापन कार्य।
प्रकाशन: संस्कृत विषयक सात पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित।
हिन्दी व्याकरण प्रकाशित।
संपादन- ‘कविता अनवरत’ काव्य संकलन के सात खण्डों का संपादन।
‘कविता अभिराम’ के सात खण्डों का सम्पादन।
काव्य संग्रह- ‘मौन मुखरित हो गया’
बारह आलेख संग्रह- ‘जीने की राह’ (जीवनोपयोगी आलेख), ‘धारणात् धर्म’ (धर्म से सम्बंधित आलेख), ‘घर-आँगन’ (पारिवारिक आलेख), ‘साँझ का आकाश’ (वृद्धों की समस्याओं पर आलेख) और ‘नटखट बचपन’ (बच्चों की समस्याओं पर आलेख), ‘सुख की तलाश’ (सुखपूर्वक रहने के सूत्र), ‘माँ’ (माँ से सम्बन्धित आलेख), ‘मोह-मोह के धागे’ (मनुष्य के अन्तस् में विद्यमान शत्रुओं पर आलेख), ‘सच की परछाइयाँ’ ( मानव जीवन के लिए उपयोगी आलेख), ‘सफलता के सोपान’ (सफलता प्राप्ति हेतु आलेख), ‘आशा के दीप’ (जीवन में आशा को अपनाने सम्बन्धी आलेख), खुशियों की सौगात (प्रसन्न रहने के विषय में आलेख)।
संप्रति: स्वतन्त्र लेखन। नोयडा के प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र में नियमित कालम लेखन।
कई वेबसाइट पर रचनाएँ प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मान: साहित्य में योगदान के लिए एनएमएफआई एक्सीलेंस अवार्ड 2016 तथा साहित्य में योगदान के लिए एनएमएफआई की और से साहित्य सम्मान/अचीवमेंट अवार्ड 2018।
साहित्य समीर दस्तक की ओर से 2019 में ‘शब्द गुंजन निबंध सम्मान’
रुचि: वैदिक साहित्य व भारतीय संस्कृति के प्रति अगाध आस्था।

सम्पर्क- चन्द्र प्रभा सूद
A 107, Stone Oaks Apartment, naganathapura, hosa road, near bosch factory gate 5,
Bangalore 560100
फोन: 09818103292
Email: [email protected]
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