नारी के विविध रूप- अमरेन्द्र कुमार

नारी तेरे विविध रूपों से
जग का होता रहा कल्याण है
तू विधाता की अनमोल देन है
जिससे सृष्टि का निर्माण हुआ,

अगर तू ना होती,
तो संसार में कोई घर ना होता,
पूरी सृष्टि सच में बेघर होती
नारी, अगर तू मां ना होती,
तो इस जग के क्रंदन को कौन सोखता,
यह जग तो सौतेला होता
नारी अगर तू ना होती,
तो हम किसे पूजते?

क्योंकि अगर सीता ना होती
तो राम का अस्तित्व ना होता।
हे! नारी अगर तेरा प्रेम ना होता
तो यह संसार बंजर भूमि के सिवाय
और कुछ ना होता

नारी!अगर तुम बहन न होती
तो हर भाई अभागा होता।
नारी! तुमने हर पल प्रतिपल
अपना बलिदान देकर
इस सृष्टि को है सांस दिया
नारी! तू दया की मूर्ति है
तेरी पल्लू में ममता, दया,करुणा
और प्रेम की शक्ति है

जब-जब तेरा पल्लू लहराता है
सृष्टि में नई उमंग भर आती है
नारी तेरी पल्लू पकड़कर,
यह सृष्टि तेरी ही पथ का अनुसरण करती है

नारी! तुम अनुपम हो,
तुम विश्व की शक्ति हो
तुम स्वयं में एक कहानी हो,
तुम ही विधाता हो

-अमरेन्द्र कुमार
आरा, बिहार
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