नारी शक्ति- प्रतिभा शर्मा

उठो धरा की वीर पूतानी
दुष्टों का संहार करो।
तुम काली, दुर्गा, चंडी बन
एक नया अवतार बनो।
कब तक ज़ुल्म सहोगी
ऐसा तीव्र प्रहार करो।
हाहाकार मचा दो सबमे
एक नया इतिहास रचो।
रणभेदी बिगुल बजा दो
न्याय का न इंतजार करो।
उठो धरा की वीर पूतानी
दुष्टों का संहार करो।

ले कटार लक्ष्मीबाई बन
दुश्मन पर तुम टूट पड़ो।
अत्याचारी थर-थर काँपे
ऐसा शंखनाद करो।
दया, धर्म, ममता छोड़ो
असुरों का संहार करो।
आँचल के फँदे से, फँदा
मौत का तुम तैयार करो।
क्यों भूल गई शक्तिस्वरूपा
अपनी ही पहचान को।
उठो धरा की वीर पूतानी
दुष्टों का संहार करो।

-प्रतिभा शर्मा
हिंदी अध्यापिका,
वडोदरा