पता मत पूछो- राजकुमार धर द्विवेदी

पता मत पूछो, जाने दो, लंबा सफर।
मैं राही बस इतना जानो,
तुम भी यार पराया मानो।
पता मत पूछो, जाने दो, लंबा सफर।
मस्ती छूटी, महफिल छूटी,
बेदर्दी से यारी टूटी।
पता मत पूछो, जाने दो, लंबा सफर।
नहीं चाहता दर्द सुनाऊं,
टूटा दिल है, अश्रु बहाऊं।
पता मत पूछो, जाने दो, लंबा सफर।
अब तो साथी है तनहाई,
मुझे मिली है पीर विदाई।
पता मत पूछो, जाने दो, लंबा सफर।
अब तो शूलों से है नाता,
नहीं सुमन है जी हर्षाता।
पता मत पूछो, जाने दो, लंबा सफर।
वह सपने में भी मत आए,
यही दुआ दो याद न आए।
पता मत पूछो, जाने दो, लंबा सफर।

-राजकुमार धर द्विवेदी
वरिष्ठ उप-संपादक,
नईदुनिया, रायपुर (छत्तीसगढ़)