प्रकृति परायण बन जाएँ- रश्मि अग्रवाल

आओ प्रकृति परायण बन जाएँ
मानव ने एक दुनिया,
कृत्रिम बना ली।
प्रकृति के विपरीत,
अनचाहे परिवर्तन,
नए-नए परिवेश
सीमेंट के रास्ते,
गगनचुम्बी इमारतें,
ई-कचरा,
तेज़ाबी वर्षा,
जहरीली खाद,
प्रदूषित जल,
प्लास्टिक का बोलबाला
रासायनिक बहिस्राव
विकास और सुविधाओं के नाम
बोझ से ज़ख़्मी हुए,
पगडण्डियों के पाँव
आओ चलें…
कहीं देर ना हो जाए?
क्यों न हम सम्भल जाएँ?
पर्यावरण की लटों को सुलझाएँ,

प्रदूषण रहित वातावरण बनाएँ
आओ,
प्रकृति परायण बन जाएँ

-रश्मि अग्रवाल