प्रवृत्ति- डॉ उषाकिरण सोनी

सुख
समय के आंधी में
रेत पर लिखी
इबारत सा उड़ जाता है।
दुःख
उत्कीर्ण हो
मन की शिला पर
गहरे तक पैठ जाता है।
ज्ञात है
न शिला न रेत
न हर्ष न क्लेश
कुछ भी शाश्वत नहीं है।
बदलते
समय के संग
बदल कर अपना रंग
सब कुछ बदल जाता है।
फिर भी
कष्ट को झटक
आनंद से चिपक
प्रत्येक रहना चाहता है।
संभवतः
यही मानव प्रवृत्ति है
स्वयं के प्रति आसक्ति है
सुखाभास हेतु वह सब कुछ भूल जाता है

-डॉ उषाकिरण सोनी

डॉ उषाकिरण सोनी का रचना-संसार-
काव्य-संग्रह
– अक्षरों की पहली भोर
– मौन के स्वर
– मुक्ताकाश में
– शब्द की अनुगूंज
कहानी संग्रह
– काम्या
– नेपथ्य का सच
– तृष्णा तू न गई…
– नए सूरज की तलाश
– जस करनी तस
निबंध संग्रह
– अक्षर से अक्षर तक
– मन, सृजन और जीवन
बाल साहित्य
-टिम-टिम तारे (बाल-गीत)
– द्वार से धाम तक (यात्रा-वृत्तांत)
– मेरी यूरोप यात्रा (यात्रा-वृत्तांत)
– घरौंदा (बाल-कथा)
शोध
-कन्हैयालाल सेठिया के साहित्य में जैन सम्मत जीवन मूल्य
सह-लेखन
– एकता का संकल्प (काव्य संग्रह)
– सबके साथ, सबसे अलग (काव्य संग्रह)
– मन में बसा आकाश (कथा संग्रह)
– काव्य-सुगंधा (काव्य संग्रह)
संपादन
-भोर का उजास (राज माध्यमिक शिक्षा विभाग के लिए बाल-साहित्य)