बरसात की ख़ुश्बू- श्वेता सिन्हा

साँसों से नहीं जाती है जज़्बात की खुशबू
यादों में घुल गयी है मुलाकात की खुशबू

चुपके से पलकें चूम गयी ख्वाब चाँदनी
तनमन में बस गयी है कल रात की खुशबू

नाराज़ हुआ सूरज जलने लगी धरा भी
बादल छुपाये बैठा है बरसात की खुशबू

कल शाम ही छुआ तुमने आँखों से मुझे
होठों में रच गयी तेरे सौगात की खुशबू

तन्हाई के आँगन में पहन के झाँझरे
जेहन में गुनगुनाएँ तेरे बात की खुशबू

– श्वेता सिन्हा