बहना के लिए- राजन गुप्ता जिगर

सूना होगा घर का आंगन
दीवारें भी रूठने वाली है
आज नहीं तो कल सोन चिरैया
यहां से जाने वाली है

घर का आंगन, बैठक और
मंदिर भी है आज उदास
छुप-छुपकर सब रोते है
नहीं किसी को भूख-प्यास

सोन चिरैया के बाद तुलसी मइया की
शादी कौन कराएगा
रात के खाने के बाद
कुत्तों को रोटी कौन खिलाएगा

कल से मम्मी पापा के कपड़े
उनके पास कौन पहुंचाएगा
बिन बात के ही हम भाइयों के बीच
टांग कौन अड़ाएगा

कल से तेरे कमरे में
एक उदासी अब छा जाएगी
मैं नहीं जाऊंगा उसमें जब तक
तू नहीं आ जाएगी

तू जहां जाएगी वहां
खुशियां ही खुशियां भर देगी
इस घर का उजाला ले जाकर
वहां उजाला कर देगी

चली जाएगी अपने हिस्से,
समेटकर यादों के अपने किस्से
खाली हो जाएगा आंगन
अब तक चहक रहा था जिससे

सभी लोग की यही दुआएं हैं,
तू जहां भी रहे आबाद रहे
जहां की सारी खुशियां मिले,
तू ख़ुदा से जो फरियाद करे

-राजन गुप्ता जिगर