बादल- नवरंग भारती

आई सावन की परी झूम के आये बादल
दिल के मारों में मची धूम के हाय बादल

उसके चेहरे पे निगाहों का ठहरना मुश्किल
उसकी ज़ुल्फों की घनी छांव के साये बादल

बढ गई दिल की तपिश सीने में तूफ़ां सा उठा
घिर के आये जो घटाओं में नहाए बादल

कौन पहचाने है दीवाने पपीहे की सदा
उसकी चाहत तो है बस हाय रे हाय बादल

झूमने लगता है हर प्यार भरा दिल नवरंग
इश्क़ के साज पे मल्हार जो गाये बादल

-नवरंग भारती