भरत कनफ़ की कविताएँ

स्टीफन हॉकिंग

प्रश्नचिन्ह लगाने पर
ईश्वरिय सत्ता पर
मार दिया गया गैलिलियो को
उसी तर्क को सत्य बनाने, तीन सौ वर्षों बाद जन्में तुम
बना रही थी जब दुनिया
मार्च में अल्बर्ट आइंस्टीन की जयंती
इसी दिन तुमने छोड़ दिया था शरीर
जुड़ जाता है मार्च महीना महान विभूत्तियों से
जिन्होंने दी समय को टक्कर, बदल दिया इतिहास
14 मार्च को ही जन्मे आइंस्टीन
दिवंगत हुए दार्शनिक कार्ल मार्क्स
तुम भी हुए संसार से विदा
इसी दिन

2.
इक्कीस वर्ष में जकड़ लिया तुम्हें ‘न्यूरॉन डिजीज’ ने
तुम्हारे शरीर को अपाहिज कर, छोड़ दिया खुले मैदान में
तुम्हारा निष्क्रिय शरीर झूलता रहा व्हील चेयर पर
तुम्हारा सक्रिय मस्तिष्क नापता रहा
धरती से आकाश की पदचाप
दिख जाता अक्सर दृश्य -अदृश्य के बीच
अनन्त काल से घूमता-फिरता मनमौजी
जो लागता है चक्कर निष्क्रिय हाथ-पाँव के साथ
बोलने में असमर्थ, नहीं फूटी कंठ से कोई आवाज
ऐसा नहीं है कि तुम्हारे कंठ में आवाज नहीं थी?
जब तुम थे ‘यूरोपीय एटमी एजेंसी’ सर्न के दौरे पर
तब निमोनिया के हमले ने तुम्हें और जर-जर किया
तुम्हारे कंठ से ध्वनि को हमेशा के लिए छीन लिया
डाक्टरों ने कहा तुम ज्यादा जीवित नहीं रहोगे
तब तुमने निर्जीव शरीर को मात दे
जीने की उत्कंठा पाल, मृत्यु को परास्त किया
उसके बाद केवल जीवित ही नहीं रहे तुम
तुमने अर्धांगिनी के साथ मिल
अपने तीन अंशों को जन्म दिया
एक भरेपूरे परिवार का निर्माण किया

3.
तुमने विज्ञान को कविता और संगीत में पिरो दिया
पर्यावरण की दुर्दशा पर विश्व को आगाह किया
सर्वशक्तिमान बन बैठे अमेरिका को
फटकारा
विनाश की और ले जाती अमेरिकी
नीति जो लताड़ा
वियतनाम युद्ध में जब लड़ रहा था अमेरिका
फिलस्तीनी से सहानुभूति रख
गजा पर इस्त्रएली कब्जे के विरोध
तुमने हुँकार भर
अमेरिका की व्याख्यानमाला को अस्वीकार कर
तोड़ दिया घमंड अमेरिका का
तुम आकाशगंगा में तारामंडल का नक्षत्र हो
हॉकिंग

-भरत कनफ़